अनूपपुर। मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला इन दिनों टमाटर की पैदावार को लेकर सुर्खियों में आया है, यहां का टमाटर देश के कई प्रदेशों में लोगों की सब्जी का जायका बढ़ा रहा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान जिले ने 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उद्यानिकी फसलों का विस्तार किया है। टमाटर के साथ-साथ प्याज एवं नाशपाती की खेती में भी वृद्धि हुई है। जिससे किसानों को लागत कम और उत्पादन बेहतर हो रहा है। सामने आया है कि पचमढ़ी की तर्ज पर अनूपपुर जिले में टमाटर की खेती संभव हो सकी है, जो कृषि तकनीक एवं प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
इस संबंध में सहायक संचालक उद्यान सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कलेक्टर हर्षल पंचोली के निर्देशन में किसानों की आय वृद्धि के उद्देश्य से स्थानीय स्तर पर विपणन सुविधा भी उद्यानिकी विभाग द्वारा विकसित की जा रही है, जिससे किसानों को अपनी उपज विक्रय करने में सुगमता हो रही है। एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती पर 50 से 60 हजार रुपए की लागत आती है, जबकि किसानों को 1.50 से 2 लाख रुपए तक का मुनाफा प्राप्त हो रहा है। प्रति एकड़ के हिसाब से यह मुनाफा 1 लाख रुपए तक पहुंच रहा है जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है।
वे बताते हैं कि गत वर्ष जिले में 5408 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती कर 140608 मैट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, जिसकी औसत उत्पादकता 260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही। अनूपपुर जिले का टमाटर मध्यप्रदेश के शहडोल, रीवा, सतना सहित छत्तीसगढ़ (रायपुर, अंबिकापुर, बिलासपुर) और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों तक निर्यात किया जा रहा है जिससे किसानों को बाजार की उपलब्धता के साथ-साथ बेहतर मूल्य प्राप्त हो रहा है।
सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जिले के तीन क्लस्टर जैतहरी, अनूपपुर एवं पुष्पराजगढ़ में टमाटर की खेती व्यापक रूप से की जा रही है, जिससे लगभग 15500 किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। जिले में हाइब्रिड एवं स्थानीय किस्मों की खेती की जा रही है। सरकार द्वारा 50 प्रतिशत में अनुदान बीज पर एवं 50 प्रतिशत अनुदान ड्रिप एवं स्प्रिंकलर कोसिंचाई पद्धति प्रदान किया जा रहा है, जिससे किसानों को लागत कम और उत्पादन बेहतर हो रहा है। पचमढ़ी की तर्ज पर अनूपपुर जिले में टमाटर की खेती संभव हो सकी है, जो कृषि तकनीक एवं प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि विगत तीन वर्षों में जिले में 2000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उद्यानिकी फसलों का विस्तार हुआ है। टमाटर के साथ-साथ प्याज एवं नाशपाती की खेती में भी वृद्धि हुई है। यह सफलता अन्नदाता किसानों की मेहनत, प्रशासनिक समर्पण तथा शासकीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन का प्रतिफल है, जो आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में एक सशक्त कदम है।
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