जयपुर। राज्य मानवाधिकार आयोग ने अजमेर के होटल में हुए अग्निकांड के बाद ऐसे असुरक्षित होटलों को बंद करने की मंशा जताई है। आयोग ने कहा कि अजमेर में रोजाना हजारों पर्यटक आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिला प्रशासन और नगर निगम सभी सरायों और होटलों की सूची बनाकर उन्हें असुरक्षित पाए जाने पर उनके संचालन पर रोक लगाए। इसके साथ ही इन होटलों में फायर एनओसी की अनिवार्यता को लागू करें, ताकि यहां ठहरने वालों के साथ अग्निकांड जैसी जानलेवा घटना ना हो। वहीं आयोग ने अजमेर कलेक्टर, एसपी और निगम आयुक्त को शहर की सभी होटलों की सूची बनाकर उनकी सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति को कन्फर्म कर इसकी रिपोर्ट आयोग में पेश करे और अग्निकांड में पीड़ितों को क्षतिपूर्ति राशि देना सुनिश्चित करे। आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने यह आदेश मामले में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स पर दिए।
आयोग ने कहा कि अग्निकांड में जले होटल ने स्थानीय प्रशासन से बिना फायर एनओसी लिए होटल संचालित की, जिसके चलते आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। आग की लपटें देखकर होटल कर्मचारी भाग गए और एक महिला को अपने बच्चे को बचाने के लिए होटल से नीचे फेंकना पडा। आयोग ने कहा कि शहर के कई आवासीय भवनों को होटलों में तब्दील किया जा चुका है और विभागों की स्वीकृति और एनओसी के बिना इनका संचालन किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन की ओर से इस आवश्यक पहलू को नजरअंदाज किया गया है। जिससे दरगाह के आसपास अग्निकांड होने पर फायर बिग्रेड के पहुंचने और बचाव कार्य में भी कठिनाई का सामना करना पडता है।
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