अब जेल की दीवारें न सिर्फ कैदियों के बनने की बल्कि नई संभावनाओं के निर्माण की भी गवाह बनेंगी। प्रतापगढ़ की खुली जेल में कैदियों के जीवन को नई दिशा देने की पहल की जा रही है। जहां उन्हें मजदूरी के लिए रोजाना बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बल्कि अब उन्हें अपने ही जेल परिसर में सम्मानजनक रोजगार मिलेगा। इसके लिए जेल में ही पेट्रोल पंप खोलने की कवायद शुरू कर दी गई है। यह न सिर्फ प्रशासनिक नवाचार है। बल्कि सामाजिक पुनर्वास का भी सशक्त कदम है। यह व्यवस्था उन कैदियों को स्वावलंबन, सुरक्षा और समाज के लिए उपयोगिता का अवसर देगी, जो अपने अपराध की सजा भुगतते हुए बेहतर इंसान बनने की राह पर हैं। प्रतापगढ़ ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस मॉडल को अपनाने की तैयारी है, जिससे सजा अब सुधार का पर्याय बनती जा रही है।
योग्यता के आधार पर होगा काम
पेट्रोल पंप खुलने के बाद उन्हें अपने ही जेल परिसर में योग्यता के अनुसार रोजगार मिल सकेगा। यह पंप ऑयल कंपनी शुरू करेगी, जिसकी लागत करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपये आएगी। संचालन की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होगी। जबकि मॉनिटरिंग का काम जेल प्रशासन करेगा। सबसे पहले उन 15 कैदियों को योग्यता के आधार पर पेट्रोल पंप पर काम पर लगाया जाएगा। जो वर्तमान में ओपन जेल में सजा काट रहे हैं। जरूरत पड़ने पर दूसरे जिलों से भी कैदियों को बुलाकर उन्हें यहां काम दिया जाएगा।
15 कैदी हैं ओपन जेल में
शहर के मंदसौर रोड स्थित जिला जेल की ओपन जेल में सजा काट रहे कैदियों के लिए नई पहल शुरू की जा रही है। अब उन्हें मजदूरी के लिए जेल से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि जेल परिसर में ही उनके लिए पेट्रोल पंप खोला जा रहा है। फिलहाल प्रतापगढ़ की ओपन जेल में 15 कैदी सजा काट रहे हैं। अभी तक इन कैदियों को रोजाना सुबह 6 बजे हाजिरी देकर मजदूरी के लिए जेल से बाहर भेजा जाता है और शाम 7 बजे वापस आकर दोबारा हाजिरी देनी होती है। लेकिन अब उन्हें रोजाना ऐसा नहीं करना पड़ेगा।
जेल परिसर में निर्माण कार्य शुरू
यहां की ओपन जेल में पेट्रोल पंप खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। जहां से स्वीकृति मिल गई है। साथ ही खुली जेल में इसके लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है। काम शुरू हो चुका है। बहुत जल्द यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
5 जिलों की खुली जेलों में खुलेंगे पेट्रोल पंप
ये कैदी जेल परिसर में आने-जाने वाले वाहनों में पेट्रोल और डीजल भरेंगे। अधीक्षक ने यह भी बताया कि इन पेट्रोल पंपों पर उन्हीं कैदियों को काम पर रखा जाएगा, जिन्हें कोर्ट से सजा हो चुकी है। प्रतापगढ़ की खुली जेल में बंद ज्यादातर कैदी हत्या जैसे गंभीर मामलों में सजा काट रहे हैं। कुछ कैदी अपने परिवार के साथ हैं तो कुछ अकेले हैं। खास बात यह है कि यह योजना सिर्फ प्रतापगढ़ तक ही सीमित नहीं रहेगी। प्रदेश के अन्य पांच जिलों झुंझुनूं, बारां, चूरू, सीकर और अजमेर में भी इसी मॉडल पर खुली जेलों के अंदर पेट्रोल पंप खोले जा रहे हैं। ताकि कैदियों को सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक रोजगार मिल सके।
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