राजस्थान में ग्रीन एक्सप्रेस-वे परियोजना को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा बजट 2024 में घोषित नौ ग्रीन एक्सप्रेस-वे में शामिल बीकानेर-कोटपूतली एक्सप्रेस-वे अब लोक निर्माण विभाग (PWD) के बजाय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधीन आ गया है।
सरकार के इस निर्णय के बाद परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की जिम्मेदारी भी अब एनएचएआई को सौंप दी गई है। पहले यह कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जा रहा था, लेकिन अब विभागीय पुनर्गठन के बाद सभी तकनीकी, वित्तीय और विकास संबंधी प्रक्रियाएँ एनएचएआई देखेगा।
बजट घोषणा और परियोजना की रूपरेखा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस वर्ष के बजट में प्रदेश में 9 ग्रीन एक्सप्रेस-वे विकसित करने की घोषणा की थी, ताकि राज्य के औद्योगिक, पर्यटन और व्यापारिक क्षेत्रों को बेहतर सड़क संपर्क मिल सके। इन परियोजनाओं का उद्देश्य ट्रैफिक दबाव को कम करना और परिवहन को पर्यावरण-अनुकूल बनाना है।
बीकानेर-कोटपूतली ग्रीन एक्सप्रेस-वे इस दृष्टि से एक अहम परियोजना मानी जा रही है। यह सड़क पश्चिमी राजस्थान को दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से जोड़ेगी और बीकानेर, नागौर, सीकर, झुंझुनूं होते हुए कोटपूतली तक जाएगी। इससे न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि माल परिवहन का समय और लागत भी घटेगी।
डीपीआर अब एनएचएआई तैयार करेगा
सूत्रों के अनुसार, जब परियोजना पीडब्ल्यूडी के पास थी, तब प्रारंभिक सर्वेक्षण और डीपीआर का ड्राफ्ट कार्य शुरू किया जा चुका था। लेकिन कुछ महीने पहले राज्य सरकार ने इसे एनएचएआई को हस्तांतरित कर दिया। अब एनएचएआई की तकनीकी टीम नई डीपीआर तैयार करेगी, जिसमें सड़क की चौड़ाई, पुलों, फ्लाईओवर, इंटरचेंज और पर्यावरणीय पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि एनएचएआई के पास बेहतर तकनीकी संसाधन और वित्तीय ढांचा है, जिससे परियोजना तेजी से आगे बढ़ सकेगी। फिलहाल सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण से जुड़े प्रारंभिक कार्यों की समीक्षा की जा रही है।
परियोजना से विकास को मिलेगी रफ्तार
परियोजना पूरी होने के बाद बीकानेर से कोटपूतली तक यात्रा का समय लगभग 40% तक कम होने की उम्मीद है। साथ ही, इस मार्ग के आसपास औद्योगिक और लॉजिस्टिक हब विकसित करने की संभावनाएँ भी खुलेंगी। एक्सप्रेस-वे के किनारे ग्रीन बेल्ट और सोलर लाइटिंग सिस्टम लगाने की योजना भी है, जिससे यह सड़क पर्यावरण-अनुकूल मॉडल बनेगी।
स्थानीय उम्मीदें और चुनौतियाँ
बीकानेर और शेखावाटी क्षेत्र के लोगों को इस एक्सप्रेस-वे से बड़ी उम्मीदें हैं। व्यापारियों का कहना है कि इससे दिल्ली, जयपुर और हरियाणा तक माल ढुलाई में आसानी होगी। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी जैसे मुद्दे अभी भी परियोजना की मुख्य चुनौतियाँ बने हुए हैं।
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