पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के तहत प्रस्तावित डूंगरी बांध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं। सवाई माधोपुर ज़िले के चकेरी गाँव में ग्रामीणों ने एक महापंचायत की, जिसमें सवाई माधोपुर और करौली ज़िलों के डूब क्षेत्र के गाँवों के हज़ारों लोग शामिल हुए। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसी भी कीमत पर डूंगरी बांध नहीं बनने देंगे।
महापंचायत में लगभग हर गाँव के वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डूंगरी बांध के निर्माण से ग्रामीणों की ज़मीन, जंगल और घर बर्बाद हो जाएँगे। अनुमान है कि अभी 76 गाँव विस्थापित होंगे, लेकिन भविष्य में यह संख्या लगभग 300 तक पहुँच सकती है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि वे किसी भी हालत में अपनी ज़मीन और पहचान नहीं छोड़ेंगे।
"सरकार विकास के नाम पर उन्हें गुमराह कर रही है
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार विकास के नाम पर उन्हें गुमराह कर रही है। उनका कहना है कि डूंगरी बांध का पानी स्थानीय ज़रूरतों के बजाय औद्योगिक परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने इसे ग्रामीणों की आजीविका और अस्तित्व पर हमला बताया और मांग की कि परियोजना को रद्द किया जाए और स्थानीय संसाधनों का उपयोग मुख्य रूप से स्थानीय आवश्यकताओं के लिए किया जाए।
"जनता ही सरकार बनाती है और जनता ही उसे गिरा सकती है
महापंचायत में पूर्व विधायक राजेंद्र गुढ़ा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि योजनाएँ जनता के लिए बनती हैं, लेकिन अनुभवहीन सरकार जनता को नुकसान पहुँचाने वाली योजनाएँ बना रही है। गुढ़ा ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वह हर स्तर पर उनकी लड़ाई में उनके साथ खड़े रहेंगे।
गुढ़ा ने आगे कहा कि जनता ही सरकार बनाती है और जनता ही उसे गिरा सकती है। उन्होंने ग्रामीणों से एकजुट रहने की अपील की और कहा कि उनकी ताकत सरकार और अन्य नेताओं को झुकने पर मजबूर कर देगी। महापंचायत में बड़ी संख्या में महिलाएँ भी मौजूद थीं, जिन्होंने डूंगरी बाँध के खिलाफ आवाज़ उठाई।
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