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Rajasthan Vidhan Sabha: आज से शुरू हुआ मानसून सत्र, सदन में गूंजेंगे धर्मांतरण और कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दे

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विधानसभा सत्र आज (01 सितंबर) से शुरू होगा। सत्र की शुरुआत शोक सभा से होगी जिसमें हाल ही में दिवंगत हुए गणमान्य व्यक्तियों और विभिन्न दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। सत्र में पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन, सत्यपाल मलिक, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व सांसद गिरिजा व्यास, पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम, पूर्व विधायक मदन कोर, सोहन सिंह और किशनराम नाई को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

इसके साथ ही, आतंकवादी हमलों, दुर्घटनाओं और आपदाओं में जान गंवाने वाले नागरिकों को भी याद किया जाएगा। पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों, अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों, उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से हुई आपदा के पीड़ितों, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और भूस्खलन में जान गंवाने वालों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी।

राजस्थान स्वास्थ्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश- 2025
राजस्थान स्वास्थ्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2025 इसी सत्र में सदन के पटल पर आएगा। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर अध्यादेश प्रस्तुत करेंगे। समिति की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाएगी। प्रवर समिति की रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा प्रस्तुत करेंगे।

राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक- 2025
इसके साथ ही, राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2025 पर भी रिपोर्ट रखी जाएगी। इसके अलावा, राजस्थान में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार ने और कड़े प्रावधानों वाला एक नया विधेयक लाने का फैसला किया है।

राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक- 2025
इसी सत्र में, राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक- 2025 का नया मसौदा विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इस नए मसौदे को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई है। ये प्रावधान मूल धर्म में वापसी पर लागू नहीं होंगे। इस वर्ष बजट सत्र के दौरान सरकार द्वारा प्रस्तुत धर्मांतरण विरोधी विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी को भी गलत बयानी, धोखाधड़ी, बल या अनुचित प्रभाव से धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं कर सकेगी।ऐसा करने पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान होगा। इसमें यह भी शामिल है कि यदि विवाह का उद्देश्य केवल धर्म परिवर्तन है, तो पारिवारिक न्यायालय ऐसे विवाह को अमान्य घोषित कर सकता है। इस कानून के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

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