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कंवरलाल मीणा के माफीनामे को लेकर राजस्थान में गरमाई सियासत, जूली बोले - 'अब सामने आया BJP का असली चेहरा...'

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झालावाड़ एसपी ने बर्खास्त विधायक कंवरलाल की दया याचिका को लेकर थाने से मांगी राय। झालावाड़ के मनोहर थाने में एसडीएम पर पिस्तौल तानने और प्रोबेशनर प्रशासनिक अधिकारी का कैमरा छीनकर तोड़ने के मामले में कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद बर्खास्त विधायक कंवरलाल मीना की दया याचिका राज्यपाल के समक्ष विचाराधीन है। दया याचिका को लेकर झालावाड़ पुलिस अधीक्षक ने अकलेरा और मनोहरथाना पुलिस से राय मांगी है। झालावाड़ पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से थाने को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर पूर्व मंत्री टीकाराम जूली ने कटाक्ष करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर कंवरलाल मीना को बचाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।

'सजा माफी का रास्ता बनाया जा रहा है'
टीकाराम जूली ने इस मामले पर कटाक्ष करते हुए एक पोस्ट पर लिखा है कि "पिछले कुछ दिनों से लोकतंत्र के रक्षक होने का ढोंग कर रही भाजपा का असली चेहरा उजागर हो गया है। एसडीएम अधिकारी पर बंदूक तानने के मामले में दोषी करार दिए गए बर्खास्त भाजपा विधायक श्री कंवर लाल मीना की सजा माफी का रास्ता राज्यपाल के माध्यम से बनाया जा रहा है। क्या इस तरह से किसी आम आदमी की सजा भी माफ की जाती है या यह विशेषाधिकार सिर्फ भाजपा के लोगों को ही है।

'भाजपा को अब लोकतंत्र और संविधान पर कोई भरोसा नहीं रहा'

उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए गए बर्खास्त विधायक के लिए इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है। पहले तो उनकी सदस्यता रद्द करने में अनावश्यक देरी की गई और अब माफी की प्रक्रिया शुरू हो गई है, इससे पता चलता है कि भाजपा को अब लोकतंत्र और संविधान पर कोई भरोसा नहीं रहा और वह एक देश में दो संविधान चलाना चाहती है, जिसमें एक संविधान भाजपा वालों के लिए और दूसरा आम लोगों के लिए है" जूली द्वारा पोस्ट पर टिप्पणी किए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। पूरा मामला सार्वजनिक होने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

क्या था पूरा मामला?

3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाना कस्बे के डांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ के ग्रामीणों ने खाताखेड़ी के उपसरपंच चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए पुनर्मतदान कराने के लिए रास्ता जाम कर दिया था। सूचना मिलने पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता और प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत तहसीलदार रामकुमार के साथ मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने और रास्ता खुलवाने का प्रयास कर रहे थे।

इसी दौरान कंवर लाल अपने कुछ साथियों के साथ मौके पर आया और एसडीएम मेहता की कनपटी पर पिस्तौल तान दी और कहा कि अगर दो मिनट में पुनर्मतगणना की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा। मौके पर मौजूद लोगों के समझाने पर कंवर लाल शांत हुआ लेकिन उसने सरकारी वीडियोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दी।

प्रोबेशनर डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत का डिजिटल कैमरा छीन लिया गया। इस मामले में निचली अदालत ने कंवरलाल मीना को 3 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद वह हाईकोर्ट गए लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली। अंत में उन्होंने माननीय राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर की।

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