पर्यटन स्थल माउंट आबू में बारिश के दौरान चट्टानें खिसकने और गिरने से अक्सर पर्यटक फंस जाते हैं, अब यहां वैकल्पिक मार्ग बनाया जाएगा। अब जल्द ही माउंट आबू-गुलाबगंज मार्ग अस्तित्व में आएगा, जिससे पर्यटकों, श्रद्धालुओं और आम लोगों सहित हजारों लोगों को राहत मिलेगी।केंद्र सरकार ने हाल ही में इस सड़क को मंजूरी दी थी। यह सड़क 205 करोड़ की लागत से बनेगी। मंगलवार को सांसद लुम्बाराम चौधरी ने अधिकारियों के साथ इस सड़क का निरीक्षण किया और दिशा-निर्देश दिए। इस सड़क की मांग वर्षों से की जा रही थी। जिसे अब हरी झंडी मिल गई है।
गौरतलब है कि माउंट आबू को देश और दुनिया से जोड़ने वाला एकमात्र आबूरोड-माउंट आबू मार्ग बारिश के दौरान चट्टानें खिसकने से कई बार अवरुद्ध हो जाता है। जिससे पर्यटक फंस जाते हैं। इसलिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में माउंट आबू-गुलाबगंज मार्ग की मांग की जा रही थी। ताकि आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों और पर्यटकों को राहत मिल सके। अवलोकन के बाद सांसद ने सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह सड़क जल्द ही अस्तित्व में आएगी।
अब वैकल्पिक मार्ग बनने पर नहीं होगी परेशानी
सांसद ने कहा कि मानसून की बारिश के दौरान पहाड़ों से चट्टानें गिरने के कारण माउंट आबू-आबू रोड मार्ग बंद हो जाता है। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक ही मार्ग होने के कारण पर्यटक कई बार फंस जाते थे। गुलाबगंज माउंट आबू मार्ग बनने पर समस्या का जल्द समाधान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सोमवार शाम को वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, राजस्व आदि विभागों के संबंधित अधिकारियों, कार्मिकों व भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ क्षतिग्रस्त गुलाबगंज-माउंट आबू मार्ग का निरीक्षण किया गया। मौके पर मौजूद अधिकारियों से सड़क को जल्द अस्तित्व में लाने के लिए चर्चा की गई। इस कार्य में जो भी बाधाएं आ रही हैं, उन्हें तुरंत संज्ञान में लाने को कहा गया है। ताकि कार्य में किसी तरह की बाधा न आए।
70 के दशक में बनी थी संरचना
सांसद चौधरी ने बताया कि 70 के दशक में गुलाबगंज से माउंट आबू तक सीधी सड़क बनाने के लिए सर्वे हुआ था और 1 करोड़ 34 लाख रुपए की योजना बनाकर निर्माण कार्य शुरू कर आधारभूत संरचना तैयार की गई थी। गुलाबगंज से करीब 10 किमी तक डामरीकरण कर पक्की सड़क बना दी गई है। माउंट आबू तक बची सड़क को सुचारू कर वाहनों का आवागमन शुरू कर दिया गया है। अब इस सड़क पर फिर से वाहन दौड़ने लगेंगे।
नहीं दिया ध्यान, सड़क क्षतिग्रस्त हो गई
इस सड़क को 1986 में अकाल राहत कार्य के दौरान माउंट आबू की तरफ तालाब पर बांध बनाकर मिनी नक्की झील के रूप में विकसित किया गया था। प्रस्तावित झील के किनारे से सड़क को मोड़कर देलवाड़ा-गुरुशिखर सड़क से जोड़ने का निर्णय लिया गया। जिससे इस सड़क पर आवागमन बंद हो गया। इसके बाद यह सड़क क्षतिग्रस्त होने लगी। बरसात में नदी में तब्दील हो चुकी सड़क की किसी ने सुध नहीं ली। न ही बांध के कारण अवरुद्ध सड़क को तालाब के किनारे से जोड़ने का कोई प्रयास किया गया।जिससे सड़क क्षतिग्रस्त होती रही।
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