जिले के खमनोर और सेमा क्षेत्र के किसान इन दिनों खेतों में सूअरों के आतंक से परेशान हैं। किसानों की मेहनत पर पानी फेरने वाले ये सूअर उनकी फसल को बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उनके चेहरे पर चिंता और आंखों में आंसू साफ देखे जा सकते हैं।
स्थानीय किसानों का कहना है कि बीते कुछ महीनों से सूअरों ने उनके खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। गेहूं, जौ, मक्का और सब्जियों की फसलें इन जंगली जानवरों के हमले का शिकार हो रही हैं। किसानों ने बताया कि कई बार खेतों में रातभर पहरा देने के बावजूद सूअरों ने फसल बर्बाद कर दी।
किसानों का कहना है कि सूअरों के हमले से उनका आर्थिक नुकसान बढ़ता जा रहा है। छोटे और सीमांत किसानों की स्थिति सबसे खराब है, क्योंकि उनकी फसल से मिलने वाली आमदनी सीधे उनके जीवनयापन से जुड़ी होती है। कुछ किसानों ने तो बताया कि उन्हें अगले साल की फसल के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए भी पैसे जुटाने में मुश्किल हो रही है।
स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि सूअरों के कारण फसल नुकसान की शिकायत लगातार बढ़ रही है। वन विभाग और कृषि विभाग को इस मामले की गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है। अधिकारियों ने बताया कि सूअरों को खेतों से दूर रखने और किसानों को राहत देने के लिए कुछ उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन उनका असर अभी सीमित है।
किसानों ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें। उन्होंने सुझाव दिया है कि खेतों की सुरक्षा के लिए पैशनेट, विद्युत बाड़े और सतत निगरानी जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए। साथ ही, जंगली सूअरों के लिए सुरक्षित स्थान और जंगल क्षेत्रों में आवास सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सूअरों का खेतों में प्रवेश मुख्य रूप से उनका भोजन और आवास की कमी के कारण होता है। इसलिए किसानों और प्रशासन को मिलकर ऐसे उपाय करने होंगे, जिससे जंगली जानवरों और मानवों के बीच संघर्ष कम हो। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर उपाय न किए जाने पर स्थिति और गंभीर हो सकती है।
स्थानीय समाज में भी इस समस्या को लेकर चिंता बढ़ी है। किसानों के परिवारों का जीवन प्रभावित हो रहा है और कई जगहों पर तनाव और झगड़े भी बढ़ गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की सक्रियता और ठोस कदम ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
इस प्रकार, खमनोर और सेमा क्षेत्र के किसानों की मेहनत पर सूअरों का आतंक भारी पड़ रहा है। उनके खेतों में लगातार हमला करने वाले जंगली सूअर किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। प्रशासन और वन विभाग को जल्द से जल्द समाधान निकालना होगा, ताकि किसानों की मेहनत और आमदनी सुरक्षित रह सके।
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