केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मानहानि का मुकदमा वापस लेने की मंशा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने जीवन में उस पल को नहीं भूल सकते, जब सर्किट हाउस के बाहर गहलोत ने उनकी दिवंगत मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। शेखावत ने स्पष्ट किया कि मुकदमा वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने कहा कि गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने जो अपराध किया है, उसके लिए वे माफी मांगना चाहते हैं, वह भी मेरे सामने आने की बजाय मीडिया के माध्यम से, यह ठीक नहीं है। जोधपुर प्रवास के दौरान अपने आवास से सर्किट हाउस पहुंचने के बाद शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अशोक गहलोत अब आपातकाल की आलोचना कर रहे हैं, जिसके दौरान उनकी ही सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया का गला घोंटा था। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो उसने लोकतंत्र को रौंद दिया, और अब उसी संविधान की रक्षा की बात कर रही है।
"हमने लंबी गुलामी के बाद आजादी हासिल की"
शेखावत ने कहा कि भारत ने लंबी गुलामी के बाद आजादी हासिल की, जिसमें लाखों लोगों ने अपने जीवन और जवानी का बलिदान दिया। आज भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि वैदिक काल से अस्तित्व में आया सबसे पुराना गणतंत्र भी है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में जोधपुर सहित देशभर में आपातकाल के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई हैं।
"आपातकाल के दौरान जेल और यातनाएं झेली"
अशोक गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने कहा कि क्या आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी, जेल और यातनाएं झेलने वाले करोड़ों लोग उस दर्द को कभी भूल सकते हैं? क्या मौलिक अधिकारों का हनन और संविधान की हत्या को माफ किया जा सकता है? शेखावत ने कहा कि यह अपराध देश और लोकतंत्र के खिलाफ था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
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