राजस्थान की राजधानी जयपुर सिर्फ किलों और महलों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां स्थित गलता जी मंदिर (Galta Ji Temple) धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है। अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं का तीर्थ है, बल्कि अपने पवित्र कुंडों, गोमुख, और हजारों बंदरों की वजह से भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। चलिए जानते हैं इस अनोखे मंदिर का इतिहास, स्थापत्य, कुंडों, बंदरों के रहस्य और गोमुख के बारे में विस्तार से।
इतिहास और स्थापनागलता जी मंदिर का इतिहास लगभग 500 से 600 वर्ष पुराना माना जाता है। इस तीर्थ का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि यहां महर्षि गलव ने तपस्या की थी, और भगवान विष्णु उनके तप से प्रसन्न होकर यहां प्रकट हुए थे। इसी कारण इस स्थान को “गलव तीर्थ” कहा जाता है, जो बाद में गलता जी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम द्वारा करवाया गया था, जो जयपुर के सवाई जय सिंह द्वितीय के मंत्री थे। उन्होंने इस तीर्थ को भव्य मंदिर का रूप दिया।
मंदिर का स्थापत्यगलता जी मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी हवेली शैली में बनी हुई है। गुलाबी पत्थर से बना यह मंदिर घाटियों के बीच एक संकरी पहाड़ी मार्ग पर स्थित है, जो इसे और आकर्षक बनाता है। मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं, जिनमें से मुख्य हैं:
-
राम गोपाल जी का मंदिर
-
हनुमान जी का मंदिर
-
सीता राम जी का मंदिर
इनमें से राम गोपाल जी का मंदिर "मंकी टेम्पल" (Monkey Temple) के नाम से विदेशियों में ज्यादा प्रसिद्ध है।
पवित्र कुंड और गोमुखगलता जी मंदिर की सबसे खास विशेषता है यहां स्थित प्राकृतिक जलधाराएं और सात पवित्र कुंड। इन कुंडों में सबसे प्रमुख है:
-
गालव कुंड
-
पावन कुंड
-
सूर्य कुंड
इनमें पानी की सप्लाई एक गोमुख (गाय के मुख के आकार की चट्टान) से होती है। यह गोमुख एक प्राकृतिक जल स्रोत है, जिससे लगातार जलधारा बहती रहती है। मान्यता है कि यह जल गंगाजल के समान पवित्र है, और इसमें स्नान करने से पापों का नाश होता है।
बंदरों का रहस्यगलता जी मंदिर को "Monkey Temple" कहा जाता है क्योंकि यहां हजारों की संख्या में बंदर रहते हैं। ये बंदर मुख्यतः लंगूर और रेसस मकाक प्रजाति के होते हैं। बंदरों का मंदिर से विशेष जुड़ाव है क्योंकि यह एक हनुमान मंदिर भी है। रहस्यमयी बात यह है कि यहां के बंदर आपस में बेहद अनुशासित होते हैं और आमतौर पर श्रद्धालुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते। स्थानीय पुजारी और साधु इन बंदरों को भोजन कराते हैं, जिससे उनकी मानवों से घनिष्ठता बनी रहती है।
निष्कर्षगलता जी मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वास्तुकला, प्रकृति और रहस्य के नजरिए से भी एक अद्वितीय स्थान है। गोमुख से बहता जल, शांत वातावरण, बंदरों का झुंड और पहाड़ों की गोद में बसा यह मंदिर एक दिव्य अनुभूति प्रदान करता है। जयपुर आने वाला हर श्रद्धालु और पर्यटक यहां जरूर पहुंचता है, ताकि अध्यात्म और प्रकृति दोनों का अनुभव एक साथ किया जा सके।
You may also like
बीसीसीआई धर्मशाला में बी प्राक की प्रस्तुति के साथ भारतीय सशस्त्र बलों को सलाम करेगा
राजस्थान में शादी की खुशियों में पसरा मातम! बारात ले जा रही ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटी, 5 की मौत और 25 से अधिक घायल
हमारे प्रधानमंत्री ने कौटिल्य के दर्शन को व्यवहार में उतारा है : उपराष्ट्रपति धनखड़
प्लेऑफ में जगह पक्की करने उतरेगी आरसीबी, एलएसजी के लिए आखिरी मौका
लोकल स्टार्टअप और एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सरकार और हाफेल इंडिया ने समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर