हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प है। उनके निर्देशन में बजट घोषणा के अनुसार नवजात ऊंटों के पालन-पोषण के लिए सहायता राशि को अब दोगुना कर दिया गया है। ऐसे में ऊंट पालकों को अब 20 हजार रुपए मिलेंगे। यह राशि नए आवेदकों को 15 अक्टूबर के बाद नियमानुसार दी जाएगी। पहले यह राशि मात्र 10 हजार रुपए थी। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. हरीश गुप्ता ने बताया कि ऊंट पालन को बढ़ावा देने के लिए ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति के तहत ऊंट संरक्षण योजना संचालित है। इसमें ऊंट पालकों को ऊंट पालन के लिए धनराशि का प्रावधान किया गया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि 20 हजार रुपए की सहायता राशि का भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा। पहली किस्त (0-2 माह) 10 हजार ऊंट के जन्म पर दी जाएगी। एक वर्ष की आयु पूरी होने पर दूसरी किस्त में 10 हजार रुपए दिए जाएंगे।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि 0-2 माह की आयु वाली मादा ऊंटनी (टोडिया) पालने वाले ऊंटपालक राजस्थान के मूल निवासी होने चाहिए। ऊंटपालकों को एकीकृत ऑनलाइन औषधि प्रबंधन सॉफ्टवेयर (पशु औषधि) पर निर्धारित आवेदन पत्र में स्वयं के बैंक खाते, आश्रित ऊंटनी, चयन योग्य मादा ऊंटनी तथा उससे जन्मे 0-2 माह की आयु वाले नर/मादा संतान (टोडिया) का विवरण देते हुए आवेदन करना होगा। संयुक्त निदेशक डॉ. गुप्ता ने बताया कि चयनित मादा ऊंटनी तथा उससे जन्मे 0-2 माह की आयु वाले नर/मादा संतान (टोडिया) की टैगिंग की जानी है। ऊंटपालक को चयनित मादा ऊंटनी तथा उससे जन्मे नर/मादा संतान (टोडिया) के क्रय/विक्रय की स्थिति में पंजीकृत पशु चिकित्सा संस्थान को सूचित करना होगा। ऊंटपालक को मादा ऊंटनी के गर्भकाल/बच्चा देने/मृत्यु तथा टोडिया की मृत्यु की सूचना पंजीकृत पशु चिकित्सालय/संस्था को देनी होगी।
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