भारतीय सेना की दक्षिणी कमान ने राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाक सीमा पर हाई इंटेंसिटी कॉम्बैट ड्रिल कर अपनी ताकत और सामरिक क्षमता का प्रदर्शन किया। इस अभ्यास में सेना ने न केवल अपने युद्ध कौशल का परीक्षण किया, बल्कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ साझा रणनीति, उन्नत तकनीक और तीव्र गतिशीलता के साथ रेगिस्तान की चुनौतियों पर विजय पाने के लिए तत्परता भी दिखाई। "सहने के लिए प्रशिक्षित, हावी होने के लिए तैयार" के मंत्र के साथ सेना ने साबित कर दिया कि वह किसी भी स्थिति में दुश्मन को हराने के लिए तैयार है। यह अभ्यास 30 जून से 2 जुलाई 2025 तक चला, जिसमें कोणार्क गनर्स और ब्लैक मेस ब्रिगेड ने अपनी मारक क्षमता और इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन किया।
अभ्यास का उद्देश्य और रणनीति
जैसलमेर के थार रेगिस्तान में आयोजित यह अभ्यास बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों और भारत-पाक सीमा पर हाल के तनाव को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया था। हाल ही में अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद जैसलमेर और बाड़मेर में सीमा पर तनाव बढ़ गया था, जिसके जवाब में सेना और बीएसएफ ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य युद्ध की स्थिति में तेजी से तैनाती, सटीक हमला और एकीकृत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना था। सेना ने पुल निर्माण, दुर्गम क्षेत्रों में आवाजाही और फील्ड तैनाती जैसे इंजीनियरिंग कार्यों की सटीकता और गति का परीक्षण किया। साथ ही, सेना ने स्वदेशी अर्जुन युद्धक टैंक, लंबी दूरी की तोपों, ड्रोन और उन्नत खुफिया प्रणालियों का उपयोग करके अपनी मारक क्षमता को और मजबूत किया।
बीएसएफ और सेना की साझा रणनीति
भारत-पाक सीमा पर बीएसएफ और भारतीय सेना की साझेदारी इस अभ्यास का अहम हिस्सा रही। भारत की पहली रक्षा पंक्ति के रूप में जानी जाने वाली बीएसएफ ने सीमा पर घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सेना के साथ रणनीति बनाई। इस अभ्यास में बीएसएफ ने सीमा पर सतर्कता, खुफिया जानकारी जुटाने और त्वरित प्रतिक्रिया का पूर्वाभ्यास किया। सेना और बीएसएफ ने ड्रोन हमलों, सीमा पार से गोलीबारी और टैंकों की आवाजाही जैसी चुनौतियों का सामना करने की रणनीति का संयुक्त रूप से परीक्षण किया। जैसलमेर और कच्छ के रेगिस्तानी इलाकों में यह अभ्यास सीमा की सुरक्षा को अडिग बनाने का कड़ा संदेश देता है।
पाकिस्तान को करारा जवाब
तकनीक और खुफिया जानकारी का अद्भुत समन्वय इस अभ्यास के दौरान संचार ब्लैकआउट, साइबर जैमिंग, कम दृश्यता वाले ऑपरेशन, रात्रि गश्त और उच्च ऊंचाई पर सहायता जैसी कई जटिल स्थितियों का अनुकरण किया गया। ड्रोन निगरानी, जीपीएस नियंत्रित टैंक मूवमेंट और डिजिटल वॉर रूम कमांड सिस्टम जैसे नवाचारों को जमीन पर उतारा गया, जो दर्शाता है कि भारतीय सेना अब 'डिजिटल युद्ध' में पूरी तरह सक्षम है। साथ ही, बीएसएफ और सेना के बीच लगातार साझा संवाद, इंटेल साझेदारी और सामरिक फील्ड एक्शन ने सीमा को और मजबूत किया है। इस अभ्यास का सबसे स्पष्ट संदेश पाकिस्तान को गया है। पिछले कुछ सालों में सीमा पार ड्रोन द्वारा हथियार गिराने, घुसपैठ की कोशिशों और आतंकी नेटवर्क को सक्रिय करने की घटनाएं हुई हैं, लेकिन इस बार भारत की प्रतिक्रिया न केवल सख्त है, बल्कि पहले से ज्यादा संगठित और घातक भी है।
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