थार रेगिस्तान की गोद में बसे जैसलमेर में इस बार गर्मी रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है। अप्रैल में ही पारा 46 डिग्री को पार कर गया था और पांच दशक का रिकॉर्ड टूट गया था। मई माह में भी यही स्थिति बनी हुई है। ऐसे में यहां के बाशिंदे गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ी इलाकों का रुख करने लगे हैं। अधिकतर लोग मई के अंतिम सप्ताह और जून माह में जाएंगे, लेकिन उनकी प्लानिंग पूरी है। परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जाने वाले 70 फीसदी से अधिक लोग हिमाचल प्रदेश के शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, मैक्लोडगंज, उत्तराखंड के नैनीताल और पूर्वोत्तर में सिक्किम के गंगटोक व उसके आसपास, दार्जिलिंग आदि जगहों पर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं। दक्षिण में केरल की तरफ झुकाव कम है, क्योंकि एक तो वह काफी दूरी पर है और दूसरे वहां पर बारिश का मौसम शुरू हो जाता है। भले ही कुछ दिनों के लिए ही क्यों न हो, जैसलमेर के लोग पसीने से भरी चिपचिपी गर्मी से राहत पाना चाहते हैं। अनुमान के मुताबिक जैसलमेर से 10 हजार लोग गर्मी की छुट्टियां मनाने जाएंगे।
कश्मीर सूची से बाहर, धार्मिक यात्राएं आ रही काम
अप्रैल माह में कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के कारण सीमा पार रहने वाले लोगों का कश्मीर जाने का रुझान इस बार पूरी तरह खत्म हो गया है।
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले इस स्थान के लिए मई और जून में जिन लोगों ने बुकिंग कराई थी, आतंकी हमले के तुरंत बाद ही उसे रद्द कर दिया था।
लोगों का धार्मिक यात्राओं के प्रति हमेशा से आकर्षण रहा है, इस बार इसमें और भी इजाफा हुआ है। जैसलमेरवासी उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश समेत चारों धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। कुछ लोग यह यात्रा पूरी कर चुके हैं, जबकि कई लोग अभी यात्रा कर रहे हैं।
सैकड़ों लोगों ने द्वारका, सोमनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, मथुरा, तिरुपति जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन के लिए बुकिंग कराई है।
मई माह में भारत-पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण यात्रा को लेकर चर्चाओं में कमी आई थी। अब स्थिति सामान्य होने के बाद यह फिर से परिवारों में चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है।
बहुत सीमित संख्या में लोग हमेशा की तरह एशियाई देशों की यात्रा पर भी जा रहे हैं। वियतनाम, दुबई, बाली, थाईलैंड जैसे देश पहली पसंद बने हुए हैं।
ट्रेन टिकटों की अनुपलब्धता
जैसलमेर से लंबी दूरी की ट्रेनें उपलब्ध नहीं होने के कारण सभी को ट्रेन पकड़ने के लिए जोधपुर या बीकानेर जाना पड़ता है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी टिकटों के लिए भीड़ है। यही कारण है कि लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अनावश्यक रूप से जयपुर या दिल्ली जाना पड़ता है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग जैसलमेर से ही वाहन किराए पर लेते हैं।
50 फीसदी से ज्यादा हिमाचल और उत्तराखंड जाएंगे
10 हजार से ज्यादा जैसलमेरवासी दर्शन या सैर-सपाटा करने जाएंगे
65 फीसदी लोग धार्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं
अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है
हर साल गर्मियों में जैसलमेर से बड़ी संख्या में लोग बाहरी इलाकों में घूमने जाते हैं। कई लोग मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में घूमने में रुचि दिखा रहे हैं। उनके द्वारा बुकिंग भी करवाई जा रही है। ज्यादातर लोग मई के आखिरी सप्ताह से जून महीने तक घूमने जा रहे हैं।
कश्मीर नहीं जा रहा कोई
पिछले साल ज्यादातर लोग कश्मीर गए थे, लेकिन इस बार आतंकी हमले के बाद जैसलमेरवासी कश्मीर से पूरी तरह परहेज कर रहे हैं। धार्मिक यात्राओं के प्रति रुझान और बढ़ गया है। हर दिन बड़ी संख्या में लोग अपने पसंदीदा स्थानों के लिए बुकिंग करवा रहे हैं।
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