जैसलमेर जिले के लाठी क्षेत्र और आसपास के गांवों में पशु-पालन पर निर्भर ग्रामीण इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। मवेशियों में लंपी स्किन डिजीज के प्रकोप ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन अब तक क्षेत्र में किसी भी प्रकार का टीकाकरण अभियान नहीं चलाया गया है। इस कारण ग्रामीण और पशुपालक गंभीर आक्रोश में हैं और प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल उठा रहे हैं।
जिले के लाठी के अलावा केरालिया, सोढाकोर, धोलिया, डेलासर और गंगाराम की ढाणी सहित दर्जनों गांवों में मवेशी इस संक्रामक बीमारी से पीड़ित हैं। ग्रामीणों के अनुसार, उनकी मवेशियों में संक्रमण के लक्षण साफ दिखाई दे रहे हैं, जिससे दूध और अन्य पशु उत्पादों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कई बार पशुपालन विभाग को इस गंभीर स्थिति की सूचना दी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पशुपालक बताते हैं कि लंपी स्किन डिजीज की वजह से उनके मवेशियों का वजन कम हो रहा है और उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। इस बीमारी के फैलने की वजह से पशुओं की मौत की घटनाएं भी सामने आ रही हैं, जिससे ग्रामीणों की आमदनी पर बड़ा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्दी कार्रवाई नहीं की, तो पशुपालन पर आधारित उनकी आजीविका पूरी तरह प्रभावित हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लंपी स्किन डिजीज अत्यधिक संक्रामक होती है और इसका समय पर टीकाकरण ही प्रभावी उपाय है। टीकाकरण के अभाव में यह बीमारी तेजी से फैलती है और मवेशियों के अलावा पूरे ग्रामीण समुदाय की आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डाल देती है।
स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत टीकाकरण अभियान चलाने और प्रभावित पशुओं के इलाज के लिए पर्याप्त दवा और संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
पशुपालन विभाग के अधिकारी अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं कर पाए हैं। हालांकि क्षेत्रीय मीडिया और सामाजिक संगठनों ने इस मामले को उजागर किया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि जैसलमेर जैसे मरुस्थलीय इलाके में पशुपालन ग्रामीणों की मुख्य आजीविका है और किसी भी संक्रामक बीमारी का प्रभाव सीधे उनके जीवन स्तर पर पड़ता है।
जैसलमेर के पशुपालक इस बीमारी को लेकर सतर्क हैं और सभी प्रभावित गांवों में जागरूकता अभियान की भी आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि समय पर प्रशासनिक हस्तक्षेप और टीकाकरण से ही इस गंभीर बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है।
कुल मिलाकर, लाठी और आसपास के गांवों में लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप न केवल पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ग्रामीण समुदाय की आर्थिक सुरक्षा और आजीविका पर भी गंभीर संकट पैदा कर रहा है। ग्रामीणों और पशुपालकों की चिंता को देखते हुए आवश्यक कदम उठाना प्रशासन के लिए अब एक चुनौती बन चुका है।
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