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डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर राजस्थान हाईकोर्ट सख्त, चीफ जस्टिस बोले- 'मैं भी शिकार होते-होते बचा'

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राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव भी डिजिटल गिरफ्तारी जैसे साइबर अपराध का शिकार होने से बाल-बाल बचे। डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर ठगी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्होंने इस गंभीर खतरे पर चिंता जताई और कहा कि उनके पास भी एक बार संदिग्ध कॉल आई थी। सतर्कता बरतते हुए उन्होंने तुरंत मोबाइल रजिस्ट्रार को सौंप दिया और संभावित ठगी से बच गए।

हाईकोर्ट ने लिया स्वप्रेरणा से संज्ञान

मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति मनीष शर्मा की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों को लेकर जनवरी में स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया था। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अब तक जवाब पेश नहीं किया गया है।

साइबर ठगी में लोगों की जान तक चली गई है

कोर्ट ने दो टूक कहा कि साइबर ठगी में बेकसूर लोगों ने न सिर्फ अपनी जमा-पूंजी गंवाई है, बल्कि कई लोगों की जान भी चली गई है। इस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने को कहा है और ठोस कार्रवाई की जरूरत बताई है।

हाईकोर्ट ने आरबीआई को भी दिए निर्देश
बेंच ने साफ कहा कि भले ही राज्य सरकार ने कुछ कदम उठाए हों, लेकिन साइबर अपराध की बढ़ती घटनाएं साबित करती हैं कि ये प्रयास नाकाफी हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने आरबीआई को भी इन मामलों को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

प्रभावी सिस्टम विकसित किया जाए
हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई और सरकार की शिकायत निवारण प्रणाली को और मजबूत किया जाना चाहिए। आम लोगों को फर्जी कॉल, वेबसाइट और पोर्टल से बचाने के लिए प्रभावी सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए, ताकि लोगों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित रह सके।

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