कैंसर से डरें नहीं, उसके प्रति जागरूक रहना जरूरी: कैंसर विशेषज्ञ डॉ. गरिमा मेहता के अनुसार, कैंसर के निदान के लिए पहले उदयपुर में कुछ नहीं था। छोटी-छोटी चीजों के लिए अहमदाबाद जाना पड़ता था, लेकिन अब सारी सुविधाएं उदयपुर में ही उपलब्ध हैं। यहां अच्छे डॉक्टर्स हैं, आधुनिक इक्विपमेंट्स हैं। ऐसे में अब पहले से ज्यादा सुविधा मौजूद हैं तो बाहर जाने की जरूरत नहीं है। वहीं, कई महिलाओं के अगर छोटी सी गांठ भी हो जाती है तो वे इसे कैंसर समझ लेती हैं। वही डर दिमाग पर हावी हो जाता है। ऐसे में पहले सेल्फ एग्जामिनेशन करें, इसके बारे में जानकारी लें। कई गांठें कैंसर रहित होती है, इसलिए अनावश्यक डरने की जरूरत नहीं होती है। फिर भी कैंसर साबित हो जाए तो डरें नहीं। आजकल कई अत्याधुनिक मशीनें आ चुकी हैं, जिनसे इस बीमारी का निदान हो सकता है। इसलिए कैंसर से डरने के बजाय जागरूक होना अधिक जरूरी है। पहले स्टेज के रोगी संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं, स्टेज बढ़ने के साथ-साथ मृत्यु दर बढ़ती जाती है।
● बढ़ती आयु की महिला होना।
● लम्बा प्रजनन काल ( माहवारी लम्बे काल तक) ,माहवारी शुरू कम उम्र में होना और बन्द देर से होना।
● परिवार में 2-3 सदस्यों को (वंशानुगत) स्तन /अंडकोश का कैंसर- मां , बहन, बेटी, दादी, नानी, बुआ को हुआ हो।
● बांझपन।
● अधिक आयु में पहले बच्चे का जन्म ( 30 वर्ष के बाद)।
● मोटापा (डेढ़ गुना अधिक कैंसर होने की आशंका होती है (बीएम आइ 25 से अधिक होने पर)।
● हार्मोन का अत्यधिक उपयोग , गर्भ निरोधक गोलियों का लगातार 10 वर्ष से अधिक उपयोग करना। माहवारी बन्द होने पर हार्मोन का उपयोग 5 वर्ष से अधिक उपयोग करना ।
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