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भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान पर लोग दे रहे हैं तीखी प्रतिक्रिया

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Getty Images भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी

भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू पर अपनी टिप्पणी के कारण सोशल मीडिया पर काफ़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं.

दरअसल, एरिक गार्सेटी का 24 अक्टूबर को अंग्रेज़ी अख़बार में एक इंटरव्यू छपा था.

इस इंटरव्यू में गार्सेटी से पन्नू की हत्या की साज़िश के मामले में भारत सरकार के एक पूर्व अधिकारी विकास यादव को लेकर सवाल पूछा गया था.

इसी के जवाब में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बहुत कुछ दांव पर लगा है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका इस मामले में तभी संतुष्ट होगा जब पन्नू की हत्या की कोशिश को लेकर ज़िम्मेदारी तय की जाएगी.

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अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने 17 अक्तूबर को विकास यादव के ख़िलाफ़ हत्या की कोशिश और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने की घोषणा की थी.

यह मामला साल 2023 में न्यूयॉर्क शहर में अमेरिकी नागरिक और सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के क़त्ल की नाकाम साज़िश से जुड़ा है.

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि 'पन्नू की हत्या की साज़िश' में विकास यादव की अहम भूमिका थी.

अमेरिका के मुताबिक़, यादव भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए काम करते थे, जो कैबिनेट सचिवालय का हिस्सा है.

इस मामले में एक और भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पहले से ही अमेरिकी हिरासत में हैं.

वहीं भारत ये कह चुका है कि विकास यादव अब भारत सरकार के कर्मचारी नहीं हैं.

अमेरिकी राजदूत ने क्या कहा? image Getty Images एरिक गार्सेटी ने पन्नू मामले में कहा कि हम जवाबदेही चाहते हैं

एरिक गार्सेटी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, “अमेरिकी अधिकारी भारत की जांच से संतुष्ट हैं लेकिन वॉशिंगटन तभी संतुष्ट होगा, जब इस मामले में जवाबदेही तय की जाएगी.”

गार्सेटी ने कहा, “अमेरिका आपराधिक गतिविधियों पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा, चाहे वह किसी मित्र देश की तरफ़ से हुआ हो या किसी दुश्मन देश की तरफ़ से.”

हालांकि अमेरिकी राजदूत ने इस पर कुछ नहीं कहा कि क्या अमेरिका विकास यादव के प्रत्यर्पण की मांग करेगा. लेकिन उन्होंने यह कहा कि प्रत्यर्पण तभी हो सकता है, जब उन्हें गिरफ़्तार किया जाए.

इस मामले से भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों पर पड़ने वाले असर को लेकर एरिक गार्सेटी ने कहा, “अगर भारत और अमेरिका इस मामले को सही ढंग से नहीं सुलझाएंगे तो दोनों देशों का बहुत कुछ दांव पर होगा.”

कनाडा में खलिस्तानी अलगाववादियों को मिल रही छूट और अमेरिका की धरती से मिल रही खलिस्तानियों की धमकियों पर एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका वास्तविक ख़तरों को गंभीरता से लेता है.

गार्सेटी ने मुंबई हमले के अभियुक्त तहव्वुर राना का उदाहरण देते हुए कहा, “भारत और अमेरिका ने प्रत्यर्पण का एक मज़बूत उदाहरण दिया है.”

गार्सेटी ने कहा, “हमने दो बातें शुरू से कही हैं. पहली कि किसी भी देश के इस तरह के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. किसी भी मित्र और दुश्मन के लिए एक सीमा रेखा होती है.”

“यह हमारी पहली ज़िम्मेदारी है कि चाहे वो कोई भी हो या कुछ भी कहे, जैसा कि हर देश में होता है एक सीमा रेखा होनी चाहिए कि पैसा देकर हत्या कराना अवैध है.”

“दूसरी, हम जवाबदेही चाहते हैं. बार-बार यह दोहराने की बजाय कि भविष्य में यह अपराध दोबारा नहीं होगा, इस मामले में शामिल लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. हमारे सरकारी वकील इसी पर फोकस कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “हमारे वकील शत प्रतिशत राजनीति से प्रेरित नहीं हैं. वो एक अलग माहौल में रहते हैं.”

इससे पहले एरिक गार्सेटी ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में पन्नू को बचाए जाने को लेकर ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का हवाला दिया था.

गासेर्टी से सवाल किया गया था कि अमेरिकी प्रशासन पन्नू को क्यों बचा रहा है?

इस पर एरिक गार्सेटी ने कहा था, “हम अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर बहुत ज़्यादा सतर्क हैं. यह उस अभिव्यक्ति की आज़ादी से बहुत अलग है, जो भारत में है.”

गार्सेटी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया image Getty Images अमेरिका में रह रहे खालिस्तान समर्थकों को लेकर भारत की ओर से नाराज़गी जताई जाती रही है

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.

भारत के पूर्व विदेश सचिव है कि जब इस मामले को दोनों देशों की सरकारें सुलझाने में लगी हैं और एक भारतीय दल वॉशिंगटन गया था, ऐसे में गार्सेटी को इस तरह का इंटरव्यू देने की कोई ज़रूरत नहीं थी.

उन्होंने कहा, “जब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले में पहले से ही बयान दे दिया है तो ऐसे में गार्सेटी भारत से जवाबदेही का मांग क्यों कर रहे हैं? अगर अमेरिकी सरकार इससे संतुष्ट नहीं है तो उन्हें कहने दें.”

सिब्बल ने कहा कि एक अच्छा राजदूत ग़लत बयानबाज़ी से बचने के लिए इसे हेडक्वॉर्टर पर छोड़ देता है और वह विवादों से बचने और दोनों देशों के बीच मित्रता बनाए रखने की कोशिश करता है.

सिब्बल कहते हैं, “गार्सेटी भारत को ऐसे अपमानित कर रहे हैं, जैसे भारत कोई अपराधी है. वो ये संदेश दे रहे हैं कि मामले की जवाबदेही और पछतावे के बिना भी सज़ा मिलेगी.”

सिब्बल ने कहा, “पन्नू और अन्य मामले को लेकर हमारी चिंताओं को गार्सेटी पूरी तरह से नकार रहे हैं और वो उन्हें तथाकथित अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर बचा रहे हैं.”

‘फर्स्ट पोस्ट’ के सीनियर एडिटर कि गार्सेटी का इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार को उनसे सवाल करना चाहिए कि सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्यिक दूतावास पर हुए हमले में अमेरिका ने अभी तक एक भी अभियुक्त को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया है.

वो कहते हैं, “गार्सेटी ने कार्रवाई न करने और जवाबदेही की कई बार बातें कीं. उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए था अमेरिका ने भारत को अंधेरे में रखते हुए हेडली के साथ समझौता करने का फ़ैसला क्यों किया?”

उन्होंने कहा, “भारतीय अधिकारियों को अपराध वाली जगह में हेडली से पूछताछ करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई? पाकिस्तानी आतंकवादियों के उस हमले में ज़्यादातर भारतीय मारे गए थे.”

“क्या यह ये दर्शाता है कि अमेरिका भारतीय नागरिकों की तुलना में अमेरिकी नागरिकों को ज़्यादा महत्व देता है? क्या हमारी सरकार अमेरिकी राजदूत के बयान से सहमत है?”

सामरिक मामलों के जाने-माने विश्लेषक ने एक्स पर इस इंटरव्यू को आड़े हाथों लिया है.

वो कहते हैं, “अमेरिकी राजदूत के इंटरव्यू से दो चीज़ें निकल कर आ रही हैं. कथित साज़िश को लेकर भारत से जवाबदेही की मांग करते समय वो इस बात का जवाब देने से बचते हैं कि कैसे न्यूयॉर्क में रहने वाले पन्नू ने अमेरिकी धरती से आतंकवादी हमला करने की धमकियां दे रहे हैं. इसमें हाल ही में भारतीय विमानों को मिलने वाली धमकियां भी शामिल हैं.”

चेलानी ने कहा, “गार्सेटी हास्यास्पद रूप से यह दावा कर रहे हैं कि उनके जांच अधिकारी शत प्रतिशत राजनीतिक नहीं हैं. लेकिन अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण का सबसे बड़ा कारण न्याय प्रणाली को हथियार की तरह इस्तेमाल करना है, जिसकी वजह से उनके अधिकारी राजनीतिक हो रहे हैं.”

चेलानी ने कहा, “भारत के ख़िलाफ़ खलिस्तानी कार्ड का इस्तेमाल कर फ़ायदा उठाने की कोशिश करके अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने का जोख़िम उठा रहा है, जिसमें उन सिख चरमपंथियों को शरण देना और बचाना शामिल है, जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते हैं.”

सवाल करते हैं, “अगर किसी अतिवादी को आतंकवादी क़रार दिया गया है और वह भारतीय ज़मीन से अमेरिका के विमानों में आतंकवादी हमला करने की धमकी देता है और भारत उस पर कोई मुक़दमा नहीं चलाता है तो ऐसे में अमेरिका क्या कहेगा?”

वो कहते हैं, “1985 में कनाडा में भारतीय विमान पर विस्फोट करने वाले मास्टरमाइंड समेत बड़े पैमाने पर हत्याएं करने वाले उन सिख चरमपंथियों के लिए पोस्टर ब्वॉय बने हुए हैं, जिन्हें अमेरिका और कनाडा ने शरण दे रखी है.”

“इसमें न्यूयॉर्क में रहने वाले पन्नू भी शामिल हैं, जिसने पिछले हफ़्ते एयर इंडिया के विमानों को बम से उड़ाने की धमकी दी.”

अमेरिका पर सवाल image Getty Images सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू पर आरोप है कि वो अमेरिका की ज़मीन से भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं

भारत के लोग पन्नू मामले को रिद्धि पटेल मामले से जोड़कर भी देख रहे हैं, जिसमें भारतीय-अमेरिकी महिला और फ़लस्तीन समर्थक कही जाने वाली रिद्धि पटेल ने ग़ज़ा में युद्ध विराम के लिए बेकर्सफील्ड की काउंसिल में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने पर नाराज़गी जताई थी.

उन्होंने अपना भाषण देते हुए बेकर्सफील्ड शहर के मेयर और काउंसिल सदस्यों को मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. रिद्धि पटेल का यह भाषण काफ़ी वायरल हुआ था.

एक ने रिद्धि पटेल के भाषण की क्लिप और पन्नू मामले में अमेरिकी राजदूत के जवाब को कोट करते हुए सवाल किया, “मिस्टर गार्सेटी, क्या यह उससे अलग है जो पन्नू कह रहे हैं? फ़र्क सिर्फ इतना है कि पन्नू ने भारत के ख़िलाफ़ कहा था न कि अमेरिकी अधिकारियों के ख़िलाफ़.”

यूजर ने कहा, “क्या अमेरिका में सज़ा के लिए सिर्फ़ भाषण ही नहीं बल्कि अन्य क़ानूनी प्रावधान भी लागू हैं?”

“दोनों को दोषी ठहराया जाना चाहिए.”

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