बच्चों की खानपान की आदतों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं? अध्ययन में आया सामने
वाराणसी,16 मई (हि.स.)। प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के खानपान की आदतों को लेकर महिला महाविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की शोध टीम ने अध्ययन किया है। टीम ने इस अध्ययन के जरिए स्कूली बच्चों की आहार संबंधी आदतों को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करने का प्रयास किया है। इस शोध टीम में शामिल डॉ. नेहा राठी (मालवीय पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो, गृह विज्ञान विभाग, महिला महाविद्यालय), प्रो. मुक्ता सिंह, प्रो. कल्पना गुप्ता (महिला महाविद्यालय), एमएससी की छात्राएं प्रार्थना, मनीषा, अंजलि तथा प्रो. एंथनी वॉर्सले (डीकिन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया) शामिल रहे।
इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस- बीएचयू की ओर से प्रायोजित यह अध्ययन नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच किया गया। यह शोध अप्रैल 2025 के बीएमसी पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोध टीम के अनुसार बचपन में स्वस्थ आहार व्यवहार न केवल तत्काल शारीरिक वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। भारतीय संदर्भ में, प्राथमिक विद्यालय के बच्चों में अस्वास्थ्यकर आहार आदतें जैसे फल और सब्जियों का अपर्याप्त सेवन और अत्यधिक कैलोरी युक्त लेकिन पोषण रहित खाद्य पदार्थों तथा कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का अधिक सेवन तेजी से बढ़ रहे हैं। ये प्रवृत्तियां सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय हैं। साथ ही यह समझना आवश्यक बनाती हैं कि बच्चों की खानपान की आदतों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
डॉ. नेहा राठी ने बताया कि यह अध्ययन भारतीय प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के आहार व्यवहारों के निर्धारकों को लेकर बच्चों, माताओं और शिक्षकों की धारणाओं की पड़ताल करने वाला अपनी तरह का पहला गुणात्मक अध्ययन है। इस सर्वेक्षण से प्राप्त सबसे प्रमुख निष्कर्ष यह है कि बच्चों के आहार व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न सामाजिक-पर्यावरणीय कारकों के संबंध में सभी प्रतिभागियों की राय लगभग एक जैसी थी। यह समानता इस बात को रेखांकित करती है कि भविष्य में जब भी प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए व्यवहारगत पोषण की योजना बनाई जाए, तो इन कारकों को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। बच्चों, उनकी माताओं और शिक्षकों के दृष्टिकोणों को शामिल करने से इस अध्ययन में व्यापक और बहुआयामी समझ विकसित की गई है, जो भारत के बच्चों में स्वस्थ भोजन की आदतों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों की नींव बन सकती है। शोधकर्ताओं ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश में रहने वाले 19 प्राथमिक विद्यालय के बच्चों, 19 माताओं और 15 शिक्षकों से आमने-सामने साक्षात्कार किए। साक्षात्कार से पहले बच्चों को एक चित्रण गतिविधि करवाई गई, जिसमें उन्होंने अपने पसंदीदा और नापसंद खाद्य पदार्थों और पेयों का चित्र बनाया। यह गतिविधि बातचीत की शुरुआत का माध्यम बनी और उनके खाद्य वरीयताओं की समझ प्रदान की।
इस अध्ययन में बच्चों की खानपान संबंधी आदतों पर कई स्तरों पर प्रभाव डालने वाले कारक सामने आए। व्यक्तिगत स्तर पर, बच्चों की स्वाद प्राथमिकताएं और पोषण संबंधी बुनियादी जानकारी उनके आहार निर्णयों को प्रभावित करती पाई गईं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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