भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने हाल ही में बैंकों में जमा राशि को लेकर नए आंकड़े जारी किए हैं. RBI द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस साल में बैंक की जमा राशि में कटौती हुई है. दरअसल, इस साल 17 अक्टूबर तक बैंकों की जमा राशि में सालाना 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के मुकाबले कम है. पिछले साल यह वृद्धि 9.9 प्रतिशत थी. ऐसे में इस आंकड़े में 0.4 प्रतिशत की कमी आई है.   
   
   
     
   
     
बैंक जमा राशि के साथ साथ भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक कर्ज यानी क्रेडिट के लिए भी आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, बैंक कर्ज की सालाना वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, जो 14 दिन पहले की 11.4 प्रतिशत की दर से थोड़ी बेहतर है.
   
   
   
बैंक जमा और बैंक कर्ज के बीच बड़ा अंतर
   
   
   
RBI द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से देखा जा सकता है कि बैंक जमा और कर्ज वृद्धि के बीच का अंतर अब और बढ़ गया है. हालांकि, बड़े बैंकों का कहना है. कि उनके पास उपभोक्ता और व्यापारिक कर्ज की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त फंड हैं.
   
   
   
   
   
RBI द्वारा जारी किए आंकड़ों के अनुसार, 17 अक्टूबर तक डिमांड डिपॉजिट यानी चालू खाते में जमा राशि सालाना 16.8 प्रतिशत बढ़ी लेकिन टाइम डिपॉजिट यानी एफडी की वृद्धि दर केवल 8.55 प्रतिशत रही.
   
   
   
बैंकों के लिए पैसा जुटाना मुश्किल
   
   
   
बैंकों की डिपॉजिट में काफी कम ब्याज दर से लोगों को रिटर्न मिलता है. ऐसे में लोग अब बैंक में अपना पैसा जमा करना ज्यादा पसंद नहीं कर रहे हैं. नतीजा यह है कि अब बैंकों के लिए जनता से पैसा जुटाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि बैंक डिपॉजिट अब उतने आकर्षक नहीं रहे हैं. खासकर करंट और सेविंग अकाउंट में पैसा लाना बैंकों के लिए काफी मुश्किल हो रहा है. लोग अब अपने पैसों को बैंक डिपॉजिट के बजाय बैंक एफडी में रख रहे हैं, जिससे उन्हें ज्यादा ब्याज दर से रिटर्न मिल सकें.
बैंक जमा राशि के साथ साथ भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक कर्ज यानी क्रेडिट के लिए भी आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, बैंक कर्ज की सालाना वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, जो 14 दिन पहले की 11.4 प्रतिशत की दर से थोड़ी बेहतर है.
बैंक जमा और बैंक कर्ज के बीच बड़ा अंतर
RBI द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से देखा जा सकता है कि बैंक जमा और कर्ज वृद्धि के बीच का अंतर अब और बढ़ गया है. हालांकि, बड़े बैंकों का कहना है. कि उनके पास उपभोक्ता और व्यापारिक कर्ज की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त फंड हैं.
RBI द्वारा जारी किए आंकड़ों के अनुसार, 17 अक्टूबर तक डिमांड डिपॉजिट यानी चालू खाते में जमा राशि सालाना 16.8 प्रतिशत बढ़ी लेकिन टाइम डिपॉजिट यानी एफडी की वृद्धि दर केवल 8.55 प्रतिशत रही.
बैंकों के लिए पैसा जुटाना मुश्किल
बैंकों की डिपॉजिट में काफी कम ब्याज दर से लोगों को रिटर्न मिलता है. ऐसे में लोग अब बैंक में अपना पैसा जमा करना ज्यादा पसंद नहीं कर रहे हैं. नतीजा यह है कि अब बैंकों के लिए जनता से पैसा जुटाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि बैंक डिपॉजिट अब उतने आकर्षक नहीं रहे हैं. खासकर करंट और सेविंग अकाउंट में पैसा लाना बैंकों के लिए काफी मुश्किल हो रहा है. लोग अब अपने पैसों को बैंक डिपॉजिट के बजाय बैंक एफडी में रख रहे हैं, जिससे उन्हें ज्यादा ब्याज दर से रिटर्न मिल सकें.
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