देश में केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिनमें आयुष्मान भारत योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य स मिशन जैसी कई स्वास्थ्य संबंधित योजनाएं हैं. सरकार के द्वारा तो यह दावा किया जाता है कि इन योजनाओं के माध्यम से इलाज की लागत कम की जा रही है. इसके बाद भी भारतीय परिवार स्वास्थ्य संबंधित इलाकों से जूझ रहे हैं?
इलाज पर बढ़ रहा खर्च भारत में परिवार अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च कर रहे हैं. सबसे बड़ी परेशानी निम्न और मध्यम आय वर्ग के समूह को होती है. कई सरकारी योजनाओं और मेडिकल इंश्योरेंस के बाद भी लागत में कमी नहीं आ रही है. हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भारत में साल 2024 में आउट आफ पॉकेट स्वास्थ्य खर्च सबसे ज्यादा हुए. साल 2014 की तुलना में साल 2024 में खर्च में 60% से 40% तक की कमी आई है लेकिन फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाला खर्च अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है.
एशिया में हेल्थ प्रोटेक्शन गैप में साल 2017 के बाद से 21% की वृद्धि दर्ज हुई है. जिसमें सबसे बड़ा कारण चीन है. अभी भी कई भारतीय परिवारों को चिकित्सा लागत वहन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
जागरूकता में कमी के साथ निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भरतासरकार के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए स्वास्थ्य संबंधित कई सरकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिनमें आयुष्मान भारत योजना प्रमुख है. इसके अंतर्गत 5 लख रुपए तक का इलाज मुफ्त में किया जाता है. हालांकि इस योजना का दायरा सीमित होने के कारण कई परिवार इसका लाभ नहीं ले पाते हैं. वहीं कुछ लोग जो इसके अंतर्गत पात्र हैं उन्हें जागरूकता की कमी के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पाता.
इसके अलावा कई सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की कमी डॉक्टर और कर्मचारियों की कमी के कारण भी मरीज को परेशान होना पड़ता है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण कई लोग निजी स्वास्थ्य सेवाओं का रुख करते हैं. इसके कारण उन्हें अधिक लागत का भुगतान करना पड़ता है.
क्या हो सकते हैं समाधान देश में अभी भी कई परिवार स्वास्थ्य सेवाओं का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है. कई परिवारों को ₹500000 तक का बीमा कवर भी कम पड़ जाता है. ऐसे में यदि सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का विकास किया जाता है.
इलाज पर बढ़ रहा खर्च भारत में परिवार अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च कर रहे हैं. सबसे बड़ी परेशानी निम्न और मध्यम आय वर्ग के समूह को होती है. कई सरकारी योजनाओं और मेडिकल इंश्योरेंस के बाद भी लागत में कमी नहीं आ रही है. हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भारत में साल 2024 में आउट आफ पॉकेट स्वास्थ्य खर्च सबसे ज्यादा हुए. साल 2014 की तुलना में साल 2024 में खर्च में 60% से 40% तक की कमी आई है लेकिन फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाला खर्च अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है.
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जागरूकता में कमी के साथ निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भरतासरकार के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए स्वास्थ्य संबंधित कई सरकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिनमें आयुष्मान भारत योजना प्रमुख है. इसके अंतर्गत 5 लख रुपए तक का इलाज मुफ्त में किया जाता है. हालांकि इस योजना का दायरा सीमित होने के कारण कई परिवार इसका लाभ नहीं ले पाते हैं. वहीं कुछ लोग जो इसके अंतर्गत पात्र हैं उन्हें जागरूकता की कमी के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पाता.
इसके अलावा कई सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की कमी डॉक्टर और कर्मचारियों की कमी के कारण भी मरीज को परेशान होना पड़ता है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण कई लोग निजी स्वास्थ्य सेवाओं का रुख करते हैं. इसके कारण उन्हें अधिक लागत का भुगतान करना पड़ता है.
क्या हो सकते हैं समाधान देश में अभी भी कई परिवार स्वास्थ्य सेवाओं का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है. कई परिवारों को ₹500000 तक का बीमा कवर भी कम पड़ जाता है. ऐसे में यदि सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का विकास किया जाता है.
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