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पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले हैं? इन आसान टिप्स से चुनें अपने लिए बेस्ट फंड

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आज के समय में लोग सिर्फ पैसे बचाने के बजाय उसे समझदारी से बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. ऐसे में म्यूचुअल फंड एक अच्छा और आसान तरीका बनकर सामने आया है, खासकर उनके लिए जो निवेश की शुरुआत कर रहे हैं.



मगर म्यूचुअल फंड्स के इतने सारे ऑप्शन हैं, जैसे- इक्विटी फंड, डेट फंड, इंडेक्स फंड सहित अन्य. पहली बार निवेश करने वालों को समझ नहीं आता कि कौन-सा फंड चुना जाए. अगर आप भी ऐसी ही उलझन में हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. कुछ आसान बातों का ध्यान रखकर आप भी ऐसा म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं जो आपके जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के मकसद के अनुसार सही हो.



अपने पैसे लगाने का मकसद समझें

म्यूचुअल फंड चुनने से पहले ये सोच लें कि आप पैसा क्यों जमा कर रहे हैं. क्या आप किसी छोटे काम के लिए पैसे बचा रहे हैं, जैसे छुट्टियां मनाना या नई गाड़ी लेना? या फिर कोई बड़ा और लंबा समय वाला लक्ष्य है, जैसे रिटायरमेंट या बच्चे की पढ़ाई? आपके इस मकसद से पता चलेगा कि किस तरह का फंड आपके लिए सही रहेगा.



अगर आप लंबे समय में पैसा बढ़ाना चाहते हैं, तो इक्विटी फंड अच्छे होते हैं. अगर आपको जल्दी पैसे की जरूरत है और आप ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते, तो डेट फंड सही रहेंगे. और अगर आपका लक्ष्य बीच का है. यानी कुछ सालों के लिए निवेश करना है, तो हाइब्रिड या बैलेंस्ड फंड आपके लिए ठीक रहेगा क्योंकि ये दोनों तरह के फंड्स का मेल होते हैं.



अपने रिस्क सहने की क्षमता जानें

हर इंसान के लिए रिस्क उठाने की हिम्मत अलग होती है. ये समझना जरूरी है कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं, ताकि बाजार में कीमतें ऊपर-नीचे होने पर आप परेशान न हों. अगर आपको थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव सहने में दिक्कत नहीं होती और आप ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इक्विटी फंड आपके लिए ठीक रहेंगे. लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका पैसा सुरक्षित रहे और रिटर्न भी स्थिर मिले, तो डेट फंड या कम जोखिम वाले हाइब्रिड फंड बेहतर हैं.



सही फंड कैटेगरी चुनें

जब आपको अपने लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता का पता चल जाए, तब आपको ऐसा म्यूचुअल फंड चुनना चाहिए जो आपके लिए सही हो. म्यूचुअल फंड्स के मुख्य चार प्रकार होते हैं-

  • इक्विटी फंड: ये फंड कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाते हैं और लंबे समय में अच्छा मुनाफा दे सकते हैं.
  • डेट फंड: ये फंड सुरक्षित जगहों जैसे बॉन्ड या करेंसी मार्केट में निवेश करते हैं, ताकि पैसा सुरक्षित रहे और रिटर्न भी मिले.
  • हाइब्रिड फंड: ये दोनों यानी इक्विटी और डेट फंड का मिला-जुला फंड होता है, जिससे जोखिम और फायदा दोनों संतुलित रहते हैं.
  • इंडेक्स फंड/ईटीएफ: ये फंड किसी बड़े मार्केट इंडेक्स को फॉलो करते हैं, यानी बाजार के साथ चलने वाले फंड होते हैं.
  • अगर आप नए हैं तो बड़े और अच्छे तरह से फैले हुए (डाइवर्सिफाइड) बड़े कंपनी के शेयरों वाले फंड या इंडेक्स फंड से शुरुआत करना सही रहेगा.
फंड के परफॉर्मेंस को चेक करें

किसी भी म्यूचुअल फंड का परफॉर्मेंस अलग-अलग समय पर देखना जरूरी होता है, जैसे 1 साल, 3 साल, 5 साल या शुरू से अब तक. भले ही पहले का अच्छा परफॉर्मेंस भविष्य में भी वैसा हो, इसकी कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन अगर फंड लगातार अच्छा परफॉर्म करता है, तो यह अच्छे मैनेजमेंट का संकेत होता है. अपने फंड की रिटर्न की तुलना दूसरे फंड्स, बेंचमार्क और औसत से जरूर करें.



फंड मैनेजर को समझें

फंड मैनेजर का अनुभव और उनका निवेश करने का तरीका आपके निवेश के नतीजों पर बड़ा असर डालता है. इसलिए यह देखना जरूरी है कि जो मैनेजर आपका फंड संभाल रहा है, उसने पहले भी अच्छे नतीजे दिए हैं या नहीं. अच्छा और अनुभवी मैनेजर फंड को बेहतर बनाते हैं.



एक्सपेंस रेशियो पर भी ध्यान दें

म्यूचुअल फंड को मैनेज करने के लिए जो खर्चा लगता है, उसे ‘एक्सपेंस रेशियो’ कहते हैं. शुरुआती निवेशकों के लिए कम खर्च वाले फंड बेहतर होते हैं, जैसे डायरेक्ट प्लान वाले इंडेक्स फंड या ETF. इसके अलावा, अगर आप फंड से जल्दी पैसा निकालेंगे तो आपको ‘एग्जिट लोड’ नाम का अतिरिक्त चार्ज भी देना पड़ सकता है. इसलिए खर्चों को समझकर ही निवेश करें.

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