भारत की कंपनियों में काम करने वाले लाखों लोग इन दिनों परेशान हैं। एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में बढ़ते तनाव- खासकर मिडल ईस्ट में जारी संघर्ष का सीधा असर भारत की नौकरियों पर दिखने लगा है। Genius Consultants के सर्वे में खुलासा हुआ है कि करीब 63% कंपनियों ने या तो भर्ती रोक दी है या फिर छंटनी शुरू कर दी है। इस बदलाव की झलक हर ऑफिस में देखी जा सकती है। लोग खामोश हैं, अनिश्चित हैं और खुद से सवाल कर रहे हैं. क्या मेरी नौकरी सुरक्षित है? क्या अगला appraisal होगा?
तनाव का असर इजराइल ईरान युद्ध के पहले से देखा जा रहा है। 12 मई से 6 जून के बीच किए गए Genius Consultants के सर्वे में 2,006 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया और इनमें से बड़ी संख्या में लोगों ने माना कि उनके वेतन, बोनस या प्रमोशन पर असर पड़ा है। कई कंपनियां अब परमानेंट स्टाफ की जगह कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांसरों पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं। इस वजह से 36% कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान और 22% को विदेश एक्सपोज़र में कटौती झेलनी पड़ी है।
कंपनियों के भीतर का माहौल भी बदला है, 21% लोगों का मानना है कि टीम का मनोबल गिरा है और साथ ही नौकरी की सुरक्षा को लेकर भी डर बढ़ा है।
Genius Consultants के सीएमडी आरपी यादव कहते हैं कि यह सिर्फ एक आर्थिक झटका नहीं है, बल्कि यह कामकाज की सोच को बदलने वाला दौर है। अब कर्मचारी न सिर्फ नौकरी कर रहे हैं, बल्कि नए स्किल्स सीख रहे हैं, नए रास्ते तलाश रहे हैं। यही वजह है कि 55% लोग अब खुद को बेहतर बनाने की दिशा में सक्रिय हो चुके हैं।
हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि 56% कर्मचारियों ने माना कि वे भविष्य को लेकर चिंतित हैं और 30% ने यह भी महसूस किया है कि चीजें उनके नियंत्रण में नहीं हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मुश्किल समय में कंपनियों को अपने कर्मचारियों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। वहीं कर्मचारियों को भी बदलाव के लिए तैयार रहना होगा—नए स्किल सीखना, खुद को अपडेट रखना और लचीलापन दिखाना अब ज़रूरी हो गया है।
यह दौर चुनौती का है, लेकिन अगर सही फैसले लिए जाएं, तो यहीं से एक नया रास्ता भी निकल सकता है।
तनाव का असर इजराइल ईरान युद्ध के पहले से देखा जा रहा है। 12 मई से 6 जून के बीच किए गए Genius Consultants के सर्वे में 2,006 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया और इनमें से बड़ी संख्या में लोगों ने माना कि उनके वेतन, बोनस या प्रमोशन पर असर पड़ा है। कई कंपनियां अब परमानेंट स्टाफ की जगह कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांसरों पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं। इस वजह से 36% कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान और 22% को विदेश एक्सपोज़र में कटौती झेलनी पड़ी है।
कंपनियों के भीतर का माहौल भी बदला है, 21% लोगों का मानना है कि टीम का मनोबल गिरा है और साथ ही नौकरी की सुरक्षा को लेकर भी डर बढ़ा है।
Genius Consultants के सीएमडी आरपी यादव कहते हैं कि यह सिर्फ एक आर्थिक झटका नहीं है, बल्कि यह कामकाज की सोच को बदलने वाला दौर है। अब कर्मचारी न सिर्फ नौकरी कर रहे हैं, बल्कि नए स्किल्स सीख रहे हैं, नए रास्ते तलाश रहे हैं। यही वजह है कि 55% लोग अब खुद को बेहतर बनाने की दिशा में सक्रिय हो चुके हैं।
हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि 56% कर्मचारियों ने माना कि वे भविष्य को लेकर चिंतित हैं और 30% ने यह भी महसूस किया है कि चीजें उनके नियंत्रण में नहीं हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मुश्किल समय में कंपनियों को अपने कर्मचारियों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। वहीं कर्मचारियों को भी बदलाव के लिए तैयार रहना होगा—नए स्किल सीखना, खुद को अपडेट रखना और लचीलापन दिखाना अब ज़रूरी हो गया है।
यह दौर चुनौती का है, लेकिन अगर सही फैसले लिए जाएं, तो यहीं से एक नया रास्ता भी निकल सकता है।
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