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सरकार की हिस्सेदारी वाले टेलीकॉम सेक्टर के पेनी स्टॉक में रैली, अपने नेटवर्क को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए कंपनी का 25,000 करोड़ जुटाने का प्लान

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नई दिल्ली: टेलीकॉम सेक्टर की कंपनी Vodafone Idea Ltd के स्टॉक में गुरुवार को भी जबरदस्त रैली देखने को मिल रही है. स्टॉक में गुरुवार को 2 प्रतिशत से ज़्यादा की तेज़ी देखने को मिली, जिससे स्टॉक ने 7.32 रुपये के अपने इंट्राडे हाई लेवल को टच किया. पिछले 5 दिनों से ही स्टॉक अपनी रफ्तार में है, जिसमें 13 प्रतिशत से ज़्यादा की तेज़ी देखने को मिली है.



क्या है कंपनी का प्लान?

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी करीब 25,000 करोड़ रुपये (करीब 2.9 बिलियन डॉलर) लोन जुटाने के लिए बातचीत कर रही है. इस पैसे का इस्तेमाल कंपनी अपने नेटवर्क को बेहतर बनाने और दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के साथ ज़्यादा मज़बूती से प्रतिस्पर्धा करने में करेगी.



रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) संभवतः लोन देने के लिए बैंकों के एक ग्रुप का नेतृत्व करेगा. मामले से परिचित लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि लोन भारतीय और विदेशी दोनों सोर्स से आने की उम्मीद है और संभवतः इसका पीरियड 10 साल के लिए होगा.



अरबपति कुमार मंगलम बिड़ला द्वारा समर्थित वोडाफोन आइडिया ने पहले धन जुटाने की अपनी योजना में देरी की थी क्योंकि बैंक कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति और सरकार को न चुकाए गए कर्ज को लेकर चिंतित थे.







लेकिन अब, वोडाफोन आइडिया फिर से पैसे जुटाने की कोशिश कर रही है क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि भारत सरकार इसके बकाया बकाये पर कुछ राहत दे सकती है. कंपनी पर ज़्यादा दबाव इसलिए भी है क्योंकि इसके कई ग्राहक कंपनी छोड़कर रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों में जा रहे हैं.



अगर वोडाफोन आइडिया को लोन मिल जाता है, तो इससे कंपनी को अपने नेटवर्क को बेहतर बनाने और इसे तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे कंपनी को ग्राहकों को वापस जीतने और बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है.



सरकार की हिस्सेदारी

अप्रैल में सरकार ने वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 48.99% कर ली थी, क्योंकि कंपनी के स्पेक्ट्रम बकाया का कुछ हिस्सा इक्विटी में बदल दिया गया था. वोडाफोन आइडिया ने फंड जुटाने की खबर पर कोई टिप्पणी नहीं की और भारतीय स्टेट बैंक ने अभी तक ब्लूमबर्ग के सवालों का जवाब नहीं दिया है.



रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय बैंकों के भी लेंडर्स के समूह में शामिल होने की संभावना है, तथा यह पूरा लोन प्रोसेस एक वर्ष के भीतर पूरी हो जाने की उम्मीद है.

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