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दांतों में टार्टर: समस्या, लक्षण और उपचार

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टार्टर की समस्या और इसके प्रभाव

दांतों में टार्टर का जमना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर दंत समस्याओं का कारण बन सकता है। अच्छी बात यह है कि नियमित सफाई और चिकित्सकीय सलाह से इसे रोका जा सकता है।


टार्टर की अनदेखी न करें
दांतों की सफाई और स्वच्छता हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, कई लोग मुंह और दांतों की सफाई में लापरवाही बरतते हैं, जिससे दांतों में टार्टर जमने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। टार्टर, जो कि प्लाक का कठोर रूप है, दांतों पर पीले या भूरे रंग की परत के रूप में दिखाई देता है और यह दांतों की सुंदरता को कम कर सकता है। यदि इसे समय पर नहीं हटाया गया, तो यह दांतों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।


टार्टर क्या है?
ठाणे, मुंबई के दंत चिकित्सक डॉ. सूरज भरतरी के अनुसार, टार्टर का निर्माण दांतों पर जमा प्लाक से होता है, जो भोजन के कण, बैक्टीरिया और लार के कारण बनता है। यदि इसे नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग से साफ नहीं किया गया, तो यह सख्त होकर टार्टर में बदल जाता है। इसके निर्माण के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:



  • नियमित ब्रशिंग न करना या गलत तरीके से ब्रश करना।

  • मीठे या चिपचिपे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।

  • पानी की कमी और लार का उत्पादन कम होना।

  • धूम्रपान और तंबाकू का सेवन।

  • कैल्शियम और विटामिन सी की कमी।


लक्षण और प्रभाव



  • दांतों पर पीली या भूरे रंग की परत का जमना।

  • मसूड़ों में सूजन और खून आना।

  • सांसों में दुर्गंध आना।


इलाज
डॉ. सूरज भरतरी बताते हैं कि टार्टर को हटाने के लिए क्लिनिक में स्केलिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में दांतों की गहराई तक सफाई की जाती है और टार्टर को हटाया जाता है। इसके बाद दांतों को चमकाने के लिए पॉलिशिंग की जाती है, जिससे प्लाक दोबारा जल्दी नहीं जमता। इसके अलावा, दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य के आधार पर, डॉक्टर एंटी-बैक्टीरियल माउथवॉश या दवाएं भी दे सकते हैं।


यदि समय पर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो दांत कमजोर हो सकते हैं और कैविटी, पायरिया, या दांतों के गिरने का खतरा बढ़ सकता है।


दांतों को टार्टर मुक्त रखने के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:



  • दिन में दो बार सही तरीके से ब्रश करें।

  • मीठे और चिपचिपे खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।

  • नियमित फ्लॉसिंग और माउथवॉश का उपयोग करें।

  • धूम्रपान और तंबाकू से बचें।

  • हर 6 महीने में डेंटिस्ट से दांतों की जांच करवाएं।


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