भारत में हर वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 31 अगस्त से शुरू होकर अगले 10 दिनों तक चलेगा। भक्तगण भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए पहले से ही तैयारियों में जुट गए हैं। पूजा के दौरान भक्त उन्हें विभिन्न चीजें अर्पित करते हैं, जिनमें दूर्वा या दूब भी शामिल है।
दूर्वा का महत्व
आपने गणेश जी की पूजा में दूर्वा का उपयोग किया होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे अर्पित करने का कारण क्या है? इसके पीछे एक रोचक पौराणिक कथा है, जिसे हम यहां साझा करेंगे।
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने का कारण
प्राचीन काल में अनलासुर नामक एक दुष्ट असुर था, जिसने चारों ओर आतंक फैला रखा था। वह हमेशा भूखा रहता था और मानवों, ऋषियों और दैत्यों को निगल जाता था। देवताओं ने गणेश जी से मदद मांगी।
गणेश जी ने देवताओं की पुकार सुनी और अनलासुर का वध करने का निश्चय किया। जब उनका सामना हुआ, तो अनलासुर ने गणेश जी को निगलने की कोशिश की, लेकिन गणेश जी ने उसे अपनी सूंड से पकड़कर निगल लिया।
दूर्वा का महत्व और लाभ

गणेश जी ने असुर को निगलने के बाद पेट में जलन महसूस की। ऋषि कश्यप ने उन्हें 21 दूर्वा दी, जिससे उनकी जलन शांत हो गई। तभी से गणेश जी को दूर्वा प्रिय हो गई।
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के कई लाभ हैं। विशेषकर गणेश चतुर्थी पर इसे अर्पित करने से बप्पा प्रसन्न होते हैं और सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। दूर्वा चढ़ाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
दूर्वा चढ़ाने के फायदे
यदि आप किसी जॉब इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, तो पहले गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। इससे आपको सफलता मिलेगी। दुकान या ऑफिस में भी दूर्वा चढ़ाने से व्यापार में लाभ होता है।
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