अगली ख़बर
Newszop

अफगान विदेश मंत्री आमिर मुत्तकी का देवबंद दौरा: इस्लामी शिक्षा का केंद्र

Send Push
आमिर मुत्तकी का भारत दौरा

अफगान विदेश मंत्री का देवबंद दौरा

तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत की यात्रा पर हैं। यह 2021 में सत्ता में आने के बाद किसी तालिबानी अधिकारी का पहला भारत दौरा है। उनका यह दौरा केवल द्विपक्षीय वार्ताओं तक सीमित नहीं है। शुक्रवार को, मुत्तकी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और आज उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के प्रसिद्ध कस्बे देवबंद का दौरा करेंगे। यहां, वह विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम का दौरा करेंगे और मौलानाओं तथा छात्रों से बातचीत करेंगे।

उनके देवबंद दौरे को लेकर पूरे भारत में उत्सुकता है। दारुल उलूम प्रबंधन और सुरक्षा एजेंसियों ने इस दौरे के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। यह संस्थान 1866 में ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित हुआ था और देवबंदी इस्लामी विचारधारा का जन्मस्थान है। इसके संस्थापक मौलाना मोहम्मद कासिम नानोत्वी और हाजी आबिद हुसैन थे।

image

देवबंद विचारधारा का उद्देश्य इस्लाम को शुद्ध रखना और पश्चिमी प्रभाव से बचाना था। इस मदरसे ने भारत की स्वतंत्रता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसकी शिक्षाएं दक्षिण एशिया, विशेषकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में फैलीं। इसने राजनीतिक सोच को भी प्रभावित किया है और भारत के मुस्लिम समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत किया है।


मुत्तकी का देवबंद दौरा क्यों? क्यों जा रहे हैं अफगान विदेश मंत्री देवबंद?

जब एक मीडियाकर्मी ने आमिर खान मुत्तकी से उनके देवबंद दौरे के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “देवबंद इस्लामी दुनिया का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां के बुजुर्गों और अफगानिस्तान के उलेमाओं के बीच पुराना संबंध है। देवबंद एक आध्यात्मिक केंद्र है और अफगानिस्तान और देवबंद के बीच गहरा संबंध है, इसलिए मैं वहां के नेताओं से मिलने जा रहा हूं। हम चाहते हैं कि हमारे छात्र भी यहां आकर पढ़ाई करें।”


तालिबान और देवबंद का संबंध अफगान तालिबान और देवबंद में क्या जुड़ाव?

1947 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे की स्थापना देवबंद से प्रेरित होकर की गई थी। यह मदरसा अफगान-पाक सीमा पर स्थित है और इसके संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने देवबंद से शिक्षा प्राप्त की थी। यह मदरसा तालिबान के उदय में महत्वपूर्ण रहा है।

हक्कानिया का पाठ्यक्रम भारत के दारुल उलूम देवबंद पर आधारित है, जिसमें कुरान, हदीस, फिकह, और इस्लामी कानून पर जोर दिया जाता है। दोनों संस्थान हनफी इस्लाम को बढ़ावा देते हैं, जो इस्लाम के चार प्रमुख कानूनी स्कूलों में सबसे बड़ा और पुराना है।

शुरुआत में, कई मौलाना और छात्र देवबंद के दारुल उलूम में प्रशिक्षण लेते थे, लेकिन बाद में तालिबान पर वहाबी विचारधारा का प्रभाव बढ़ गया, जिसने इसे और कट्टर बना दिया।


तालिबान को देवबंद से समर्थन भारत के देवबंद से भी तालिबान को मिला समर्थन

हालांकि देवबंद से जुड़े कई मौलानाओं ने तालिबान के कुछ निर्णयों को कट्टरवादी बताया है, लेकिन वे अधिकांश निर्णयों का समर्थन करते रहे हैं। दारुल उलूम देवबंद ने 2001 में तालिबान द्वारा बामियान बुद्ध प्रतिमाओं को तोड़ने का समर्थन किया था।

देवबंद ने तालिबान की विचारधारा को जन्म दिया और अब जब तालिबान-भारत के संबंध करीब आ रहे हैं, तो यह भारत-अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक पुल का कार्य कर रहा है।


आमिर मुत्ताकी के दौरे की तैयारियां आमिर मुत्ताकी के दौरे से पहले देवबंद में जोरदार तैयारियां

आमिर मुत्ताकी के दौरे पर दारुल उलूम के वाइस चांसलर मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। अफगान विदेश मंत्री का स्वागत किया जाएगा।

देवबंद दौरे के दौरान, वह अरशद मदनी समेत दारुल उलूम के उलेमाओं से मुलाकात करेंगे। उनके दारुल उलूम में संबोधन की भी संभावना है। छात्रों ने इसके लिए विशेष तैयारियां की हैं और पूरे देवबंद को सजाया गया है, साथ ही सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है।


न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें