न्यू यॉर्क एक ऐसा फिल्म है जो आतंकवाद और दोस्ती के बीच के जटिल रिश्ते को बखूबी दर्शाता है। मणि रत्नम की 'दिल से' की याद दिलाते हुए, जहां मनीषा कोइराला ने एक महिला आतंकवादी की भूमिका निभाई थी, न्यू यॉर्क इस विषय को और गहराई में जाकर देखता है। निर्देशक कबीर खान ने अपने पहले प्रोजेक्ट 'काबुल एक्सप्रेस' की डॉक्यूमेंट्री जैसी शैली को छोड़कर, एक ऐसी फिल्म बनाई है जो दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।
न्यू यॉर्क एक पारंपरिक फिल्म की तरह दिखती है, जिसमें तीन छात्रों की कहानी है जो समय के साथ समझदारी हासिल करते हैं। कबीर ने अपने तीन मुख्य पात्रों के बीच की दोस्ती को बखूबी प्रस्तुत किया है। जॉन, कैटरीना और नील की केमिस्ट्री दर्शकों को एक अनोखा अनुभव देती है।
सामिर (जॉन), माया (कैटरीना) और ओमर (नील नितिन मुकेश) जानते हैं कि जीवन हमेशा खुशियों से भरा नहीं होता। 9/11 के बाद अमेरिका की राजनीतिक वास्तविकता का सामना करते हुए, कबीर खान ने बिना किसी हंगामे के इस बदलाव को दर्शाया है।
न्यू यॉर्क को एक साधारण ड्रामा के रूप में देखना आसान है, लेकिन इसकी गहराई में छिपे राजनीतिक संदेश इसे एक महत्वपूर्ण फिल्म बनाते हैं। फिल्म में आतंकवाद और उसके प्रभावों को एक संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
नील नितिन मुकेश ने इस फिल्म को अपने करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया है। उन्होंने कहा कि 'न्यू यॉर्क' ने उन्हें एक ऐसा किरदार दिया जो दर्शकों के दिलों में बस गया है।
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