यक्ष, भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में देवताओं के बाद दूसरी सबसे शक्तिशाली योनि माने जाते हैं। इनका अपना एक अलग यक्ष लोक होता है, जिसमें सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ मौजूद हैं। वर्तमान में यक्षराज कुबेर को इस लोक का राजा माना जाता है। कुबेर जी धन के देवता और संपूर्ण जगत के धन के संरक्षक हैं। वे देवता नहीं बल्कि यक्ष हैं। संसार के धन का लेखा-जोखा कुबेर जी के अधीन होता है—किसको कब और कितना धन प्राप्त होगा, यह उनकी कृपा पर निर्भर करता है।
रूप और विशेषताएँ
यक्षों का शरीर लंबा-चौड़ा, गठीला और पहलवान जैसा होता है। वे स्वर्णाभूषण पहनते हैं, जैसे गले में हार और हाथों में बाजूबंद। उनका निवास सामान्यतः जलाशयों, शिव मंदिरों, बरगद या पीपल के पेड़ों के पास होता है। यक्ष को आप साधना द्वारा पिता, भाई, मित्र, पुत्र या सेवक जैसे किसी भी रूप में सिद्ध कर सकते हैं। सिद्ध होने पर वे साधक को धन, संपत्ति और भौतिक समृद्धि प्रदान करते हैं।
शक्ति और कार्यक्षेत्र
- ज़मीन के अंदर दबा हुआ धन निकलवाना
- व्यापार में प्रगति कराना
- सट्टे या लॉटरी जैसे कार्यों में धन प्राप्ति (विशेष प्रकार के यक्ष ही)
- पानी और जल स्रोतों पर अधिकार
- चमत्कारिक कार्य दिखाना
साधना और प्रकार
यक्षों के दो प्रमुख प्रकार माने जाते हैं:
सात्विक साधना में सुरक्षा घेरे की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन तामसिक साधना हमेशा सुरक्षा घेरे में करनी चाहिए। पानी के किनारे साधना करने पर यक्ष शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
यक्ष का प्रभाव
यदि किसी व्यक्ति पर यक्ष का प्रभाव हो, तो वह प्रायः:
- धार्मिक और स्वच्छ जीवन जीने लगता है।
- शरीर में बल और ऊर्जा बढ़ जाती है।
- जल स्रोतों के पास जाने की इच्छा प्रबल हो जाती है।
- सांसारिक कार्यों में रुचि कम हो जाती है।
सपनों में पहलवान जैसे पुरुष का दर्शन और ऊपर बताए गए लक्षण यक्ष प्रभाव का संकेत हो सकते हैं।
निष्कर्ष
यक्ष सिद्धि साधक को न केवल भौतिक संपन्नता देती है, बल्कि कई दुर्लभ अनुभव भी कराती है। यद्यपि तामसिक साधना में सावधानी आवश्यक है, सात्विक यक्ष साधना लाभदायक और सुरक्षित मानी जाती है।
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