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राहुल गांधी भूल गए, एक 'मृतक' ने 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था!

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नई दिल्ली। बिहार में वोटर अधिकार यात्रा पर निकलने से पहले राहुल गांधी ने कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात की है, जिन्हें वोटर लिस्ट में मृत घोषित कर दिया गया है. बिहार से दिल्ली बुलाकर ऐसे लोगों के साथ राहुल गांधी ने चाय पीने के बाद सोशल साइट एक्स पर एक वीडियो भी शेयर किया है, और तंज भरे लहजे में चुनाव आयोग के कामकाज पर टिप्पणी भी की है.

लेकिन क्या राहुल गांधी कभी ऐसी बातों पर पहले भी ध्यान दिया है. क्योंकि, ये समस्याएं पहले से रही हैं. उत्तर प्रदेश में तो एक मृत संघ भी बना हुआ है, और संघ के नेता लाल बिहारी लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं – एक बार तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ भी.

बिहार से शुरू होगी वोटर अधिकार यात्रा, राहुल गांधी का बड़ा ऐलान
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार के कई ऐसे लोगों से मुलाकात की है, जिन्हें चुनाव आयोग की नई वोटर लिस्ट में मृत घोषित कर दिया गया है. राहुल गांधी ने इसे अपनी तरह का नया अनुभव बताते हुए कटाक्ष के साथ चुनाव आयोग को ऐसा मौका मुहैया कराने के लिए शुक्रिया कहा है.

राहुल गांधी ने मिलने वाले ये लोग बिहार के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र के हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव राघोपुर से ही विधायक हैं. तेजस्वी यादव के इलाके के ये लोग हैं – राम इकबाल राय, हरेंद्र राय, मुन्ना कुमार, लालमुनी देवी, बचिया देवी, लालवती देवी और पूनम कुमारी. आरोप है कि SIR प्रक्रिया के दौरान इन सभी की तरफ से कागजी कार्यवाही पूरी किए जाने के बावजूद इनके नाम को वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं.

1972 में आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था. बताते हैं कि लाल बिहारी के परिवार के सदस्यों ने ही जायदाद की लालच में तहसील के कर्मचारियों के जरिये लाल बिहारी को मृत घोषित करा दिया था. और, उनकी उनकी जमीन भी हड़प ली थी. 22 साल के लगातार और कड़े संघर्ष के बाद 1994 में आखिरकार लाल बिहारी को इंसाफ भी मिला. अदालत के आदेश पर स्थानीय तहसील में कागजों में सुधार करके प्रशासन ने लाल बिहारी को जिंदा मान लिया.

लाल बिहारी ने अपने नाम के आगे मृतक शब्द भी जोड़ लिया था, क्योंकि, उनका कहना था, अदालत में सुनवाई के दौरान उनको ‘लाल बिहारी मृतक हाजिर हो’ कहकर बुलाया जाता था. उन्‍होंने अपने संघर्ष के दौरान अपने जैसे लोगों को जोड़कर एक मृतक संघ बनाया. जो पिछले 50 साल से जिंदा घूम रहे ‘मृतकों’ को न्‍याय दिलाने का काम कर रहा है.

दिलचस्प बात ये है कि जिंदा होने का सबूत देने के लिए लाल बिहारी 1989 में राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं. और उससे पहले एक और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ भी. लाल बिहारी ने 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ने की तैयारी की थी.लाल बिहारी के संघर्ष पर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बन चुकी है, कागज. कागज फिल्म में अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने मुख्य भूमिका निभाई है.

देखा जाए तो राहुल गांधी के पास चाय पीने का मौका तो लाल बिहारी के साथ भी था, जिसने कांग्रेस के शासनकाल में ही अपना संघर्ष किया. लेकिन उनका ध्यान नहीं गया. तब भी ध्यान नहीं दिया जबकि वो उनके पिता राजीव गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं.

वोटर डेटा में गड़बड़ी के मुद्दे गंभीर क्‍यों नहीं हो पा रहे हैं?

वोटर लिस्ट में अभी तो हर रोज गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं. राहुल गांधी तो महाराष्ट्र का ही मुद्दा उठा रहे थे, और कर्नाटक की केस स्टडी को लेकर तो वो अपनी तरफ से सबूत पेश करने का भी दावा कर चुके हैं, जिस पर चुनाव आयोग भी अपना पक्ष रख चुका है. बिहार से डबल वोटर आईडी के कई मामले सामने आ चुके हैं, और ऐसे लोगों में आम वोटर की कौन कहे – आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का नाम भी शामिल हो चुका है.

SIR पर विपक्ष के हमलावर रुख से जूझ रही बीजेपी भी अब कांग्रेस के खिलाफ धावा बोलने लगी है. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के भारत का नागरिक बनने से पहले ही उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल हो चुका था. बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर आरोप लगाया है कि इटली में पैदा हुईं सोनिया गांधी का नाम 1980 में वोटर लिस्ट में जुड़ गया था, जबकि वो 1983 में भारतीय नागरिक बनी थीं.

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