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खगड़िया का किंग मेकर होगा' कौन, निर्दलीय पलटेगें बाजी ? क्या कहता है जातीय समीकरण और जनता का मूड ?

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खगड़िया विधानसभा चुनाव 2025 में बहुत बड़ा सस्पेंस है। 2010 और 2015 में JDU जीती हासिल की थी, लेकिन 2020 में कांग्रेस ने 35 साल बाद सीट छीन ली। क्या इस बार फिर उलटफेर होगा या जनता पुराने समीकरण पर लौटेगी? या नए समीकरण की करेगी तलाश? 

बिहार की राजनीति में खगड़िया विधानसभा (Khagaria Vidhan Sabha) हमेशा सुर्खियों में रही है। यहां 1985 के बाद पहली बार 2020 में कांग्रेस ने जीत हासिल कर बड़ा उलटफेर किया। इससे पहले लगातार जदयू (JDU) की पूनम देवी यादव का दबदबा रहा। यही वजह है कि खगड़िया विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। क्या कांग्रेस अपनी पकड़ बनाए रखेगी या जदयू और एनडीए फिर वापसी करेंगे या कोई और बाजी मार ले जाएंगे ?  .

जातीय समीकरण .

खगड़िया में मतदाता संख्या और जातीय समीकरण चुनावी नतीजों को सीधा प्रभावित करते हैं.

2020 में यहां 2.60 लाख वोटर थे, जो 2024 तक बढ़कर 2.67 लाख हो गए हैं.

वैश्य: 50,000

यादव: 32,000

दलित: 30,000

मुस्लिम: 24,000

अगड़ी जाति (ब्राह्मण-भूमिहार): 20,000

कुर्मी: 18,000

कोयरी: 16,000

पासवान: 15,000

सहनी: 15,000

अन्य: 45,000

यादव और मुस्लिम वोटर आमतौर पर राजद और कांग्रेस का समर्थन करते हैं. वहीं, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी और कोयरी का रुझान भाजपा और जदयू की तरफ देखा जाता है. दलित और पासवान समुदाय की भूमिका भी अहम मानी जाती है, जो अक्सर लोजपा या अन्य दलित पार्टियों की तरफ झुकते हैं.

प्रमुख मुद्दे

खगड़िया का बड़ा हिस्सा गंगा, बूढ़ी गंडक, बागमती और कोसी नदियों के किनारे बसा है, जिस कारण यहां हर साल बाढ़, कटाव और पुनर्वास बड़ी समस्या रहती है.

स्थानीय मुद्दे

* बाढ़ और जलजमाव

* बेरोजगारी

* कृषि संकट

* शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

* पुनर्वास और मूलभूत संरचनाओं की बदहाली

2025 में किसकी होगी जीत?

अब सबकी नजरें 2025 के चुनाव पर हैं. क्या कांग्रेस फिर से जीत दोहराएगी या जेडीयू वापसी करेगी? क्या निर्दलीय तीसरे मोर्चे की तरह उभरेगी? जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और गठबंधन की रणनीति— यही तय करेंगे कि खगड़िया की जनता इस बार किसके सिर पर जीत का ताज रखती है.

टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय बाजी मार सकते हैं ? 

1. पूनम यादव : JDU से टिकट से 2 बार विधायक बने थे लेकिन विगत 2020 में चुनाव में हार हुई थी वह भी पार्टी से टिकट के दौर में थे टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर चुनाव में नामांकन कराये फिर नामांकन वापस कर लिए, पार्टी का दबाब, या यादव वोट की राजनीति, अब उनके समर्थक तीसरे मोर्चे को देंगे समर्थन? 

2. छत्रपति यादव : कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर 2020 में खगड़िया के विधायक बने थे लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला जिससे वह नाराज दिख रहे हैं क्या छत्रपति यादव के समर्थक चंदन यादव को वोट देंगे या तीसरी मोर्चा को, ? 

3. सुमित कुमार : खगड़िया जदयू से अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे टिकट के दौर में वह भी थे उन्हें भी टिकट नहीं मिला पार्टी से नाराज चल रहे हैं क्या उनका समर्थन NDA को मिलेगा? 

4.संजय खंडेलिया: बीजेपी से खगड़िया विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए वह भी चरम सीमा पर थे लेकिन पार्टी द्वारा टिकट नहीं मिलने पर वह भी अंदरूनी नाराज चल रहे हैं क्या उनके समर्थक एनडीए को समर्थन करेंगे? 

5.CA अनुज कुमार: खगड़िया विधानसभा बीजेपी का टिकट लेकर खगड़िया से किस्मत आजमाना चाह रहे थे टिकट के लिए काफी भाग दौड़ और चुनाव प्रचार किया लेकिन टिकट नहीं मिलने से वह भी अंदरूनी नाराज दिख रहे हैं क्या उनके समर्थक एनडीए को समर्थन करेंगे? 

5: अनुराधा कुमारी : खगड़िया जदयू से विधानसभा की टिकट के लिए काफी भाग दौड़ की लेकिन उन्हें भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया वह भी अंदरूनी नाराज दिख रहे हैं क्या उनके समर्थक एनडीए को समर्थन करेगा. . ? 

जनसुराज के जयंती पटेल : कभी खगड़िया जदयू के काद्यावर नेता के रूप में जाने जाते थे कुछ दिन से वह आर सीपी सिंह के खेमे में चले गए और 2025 में जनसुरज से टिकट लेकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 

 ऐसे तो कहा जाता है राजनीतिक में कोई किसी का नहीं होता है, हर कोई अपनी राजनीतिक के लिए कुछ भी कर गुजरता है, अब देखना होगा पार्टी की उम्मीदवार जीत हासिल करते हैं या निर्दलीय अपन बाजी मार ले जाते हैं

निर्दलीय प्रत्याशी मनीष कुमार सिंह  

जो अपनी किस्मत आजमा रहे हैं इस बार खगड़िया विधानसभा से, ऐसी तो मनीष सिंह एक शिक्षक नेता के रूप में जाने जाते हैं, खगड़िया नगर पालिका क्षेत्र में उनका एक अपना छवि है, वही शिक्षक नेता के साथ में स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं वहीं स्थानीय वोटरों की बात माने तो मनीष सिंह इस बार बाजी मार ले जाएंगे पार्टी के उम्मीदवार को पटकनी देकर के खगड़िया का ताज पहन सकते हैं, ? 

कहावत है दो बंदरों की लड़ाई में तीसरे को होता है फायदा.. 

यह कहावत कहीं खगड़िया विधानसभा में देखने को ना मिल जाए  , अभी कुछ कहना संभव नहीं है राजनीति की ऊंट किस वक्त किधर करवट लेगी कुछ कहा नहीं जा सकता है 6 नवंबर को खगड़िया में चुनाव है और 14 नवंबर को चुनाव परिणाम, खगड़िया के मतदाता किसके सर पर ताज रखती है यह वक्त ही बताएगा

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