इस दुनिया में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग रहते हैं। हाँ ये कहना गलत नहीं होगा कि हमे अक्सर स्वार्थी लोग ज्यादा देखने को मिलते हैं। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि अब अच्छे और निस्वार्थी लोग बचे ही नहीं है। आज भी कुछ लोगों के अंदर इंसानियत जिंदा है। अब आंध्र प्रदेश की इस दिल छू लेने वाली घटना को ही ले लीजिए। यहां अमेरिका से लौटे भाई बहन ने कुछ ऐसा कर दिया जिसे देख लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
12 साल पहले भाई-बहन ने ली थी फ्री मूंगफलीभाई-बहन ने 12 साल पहले एक एक गरीब ठेलेवाले से मुफ़्त में मूंगफली ली थी। अब जब वे 12 सालों बाद अमेरिका से भारत लौटे तो उन्होंने उस गरीब ठेलेवाले के परिवार के लोगों को न सिर्फ ढूंढा बल्कि उनकी आर्थिक मदद भी की। बात साल 2010 की है। नेमानी प्रणव और सुचिता नाम के भाई बहन अपने पिता मोहन के साथ आंध्र प्रदेश के यू कोथापल्ली बीच पर घूमने गए थे। इस दौरान उनका मूंगफली खाने का मन हुआ। हालांकि तब उनके जेब में पैसे नहीं थे। वे अपना पर्स घर ही भूल आए थे।
समय पर नहीं दे पाए थे उधार के पैसेभाई-बहन ने अपने पर्स भूलने की बात सत्तैया नाम के ठेलेवाले को बताई। ऐसे में उसने भाई-बहन को फ्री में मूंगफली दे दी। उसने दोनों से पैसे नहीं मांगे। भाई-बहन फिर अपने पिता के साथ मूंगफली लेकर चले गए। हालांकि मोहन ने जाते-जाते ठेलेवाले से वादा किया कि वह उनके उधार के पैसे जरूर चुका देंगे।
इसके लिए भाई-बहन ने सत्तैया ठेलेवाली की एक फोटो भी क्लिक कर ली थी। लेकिन NRI होने की वजह से उन्हें कुछ दिनों बाद अमेरिका वापस जाना पड़ा। ऐसे में वे अपना उधार नहीं चुका पाए।
भारत लौटने पर शुरू की मूंगफलीवाले की तलाशअमेरिका जाने के बाद भी उन्हें सत्तैया ठेलेवाले के पैसे चुकाने वाली बात याद रही। फिर हाल ही में भाई-बहन फिर से भारत आए। इस बार उन्होंने सत्तैया ठेलेवाले के पैसे चुकाने का फैसला किया। हालांकि उसे बहुत खोजने पर भी वह नहीं मिला। फिर उन्होंने काकीनाडा (Kakinada) के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी से सत्तैया का पता लगाने विनती की।
मूंगफलीवाले के परिवार को दिए 25 हजार रुपए विधायक ने सत्तैया को खोजने के लिए फेसबुक पर एक पोस्ट की। इसके कुछ समय बाद पता चला कि सत्तैया इस दुनिया में नहीं हैं। उसका निधन हो चुका है। द सत्तैया के पैतृक गांव नागुलापल्ली के कुछ लोगों ने ये जानकारी दी थी। यह खबर सुन नेमानी प्रणव और सुचिता दुखी हुए और सत्तैया के परिवारवालों से मिलने उनके गांव चले गए। यहां उन्होंने सत्तैया के परिवारवालों को 25,000 रुपये की राशि दी।
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