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रेखा गुप्ता सरकार का बड़ा फैसला, दिल्ली पीडब्ल्यूडी बनाएगा स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर, कैबिनेट से जल्द मिलेगी मंजूरी

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New Delhi, 11 जुलाई . दिल्ली के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली के बुनियादी ढांचे की दिशा और दशा बदलने वाला एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपना स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर बनाने का निर्णय लिया है. यह विभाग के इतिहास का सबसे बड़ा प्रशासनिक सुधार माना जा रहा है, जिससे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) पर दशकों से चली आ रही निर्भरता समाप्त हो जाएगी.

अब तक पीडब्ल्यूडी में कार्यरत अधिकांश अभियंता, कार्यपालक अभियंता (ईई), अधीक्षण अभियंता (एसई) और कनिष्ठ अभियंता (जेई) सीपीडब्ल्यूडी या अन्य केंद्रीय एजेंसियों से प्रतिनियुक्ति पर आते थे. लेकिन स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर के गठन के बाद दिल्ली को अपना स्थायी, समर्पित और पूरी तरह से जवाबदेह तकनीकी स्टाफ मिलेगा, जो दिल्ली सरकार की अपनी सेवा शर्तों और निगरानी व्यवस्था के अंतर्गत चयनित, प्रशिक्षित और पदोन्नत होंगे.

दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि यह सिर्फ पीडब्ल्यूडी के लिए नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली के लिए एक टर्निंग पॉइंट है. जब अभियंता केवल दिल्ली के लोगों के प्रति जवाबदेह होंगे तो उनकी कार्यशैली और प्रतिबद्धता अपने आप बढ़ेगी. हम एक मजबूत, स्वच्छ और तेज दिल्ली बना रहे हैं और इसके लिए हमें अपनी खुद की टीम चाहिए.

स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर के गठन का प्रस्ताव तैयार हो चुका है और आगामी दिनों में इसे दिल्ली कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. मंजूरी मिलते ही विभाग भर्ती प्रक्रिया और संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में आगे बढ़ेगा, जिससे जूनियर इंजीनियर से लेकर मुख्य अभियंता तक हर स्तर पर ऐसे अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो सिर्फ दिल्ली पीडब्ल्यूडी के अधीन होंगे.

मौजूदा समय में जो सीपीडब्ल्यूडी अधिकारी पीडब्ल्यूडी दिल्ली में कार्यरत हैं, उन्हें यह विकल्प दिया जाएगा कि वह यह तो अपने मूल कैडर में लौट जाएं या विभागीय नियमों और शर्तों के अनुरूप दिल्ली पीडब्ल्यूडी के नए कैडर में स्थायी रूप से शामिल हो जाएं. यह ऐतिहासिक बदलाव विभाग की कार्यक्षमता, जवाबदेही और नेतृत्व में स्थायित्व को मजबूत करेगा, जो अक्सर सीपीडब्ल्यूडी के ट्रांसफर और डेपुटेशन सिस्टम के कारण बाधित होता रहा है.

इस सुधार से सीपीडब्ल्यूडी पर निर्भरता खत्म होगी और फैसले लेने में देरी नहीं होगी. इंजीनियर परियोजनाओं की शुरुआत से अंत तक जुड़े रहेंगे. दिल्ली की जरूरतों के अनुसार विशिष्ट प्रशिक्षण होगा. दिल्ली सरकार के अधीन एक स्पष्ट जवाबदेही तंत्र है. निर्णय लेने की प्रक्रिया स्थानीय और त्वरित होगी.

सड़क, फ्लाईओवर, अस्पताल और सरकारी भवन जैसे महत्वपूर्ण पीडब्ल्यूडी प्रोजेक्ट दशकों से सीपीडब्ल्यूडी से आए अभियंताओं के जरिए चलते रहे हैं. लेकिन इन अधिकारियों की प्राथमिकताएं अक्सर केंद्र सरकार से जुड़ी होती हैं, जिसके चलते दिल्ली सरकार के प्रोजेक्ट में जवाबदेही की कमी, बार-बार ट्रांसफर और समन्वय की कमी देखने को मिलती रही है. नए कैडर के गठन से इन सभी बाधाओं को दूर किया जा सकेगा और राजधानी की आधारभूत संरचना परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेज और सुचारू हो सकेगा.

यह कैडर निर्माण केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि दिल्ली पीडब्ल्यूडी के आधुनिकीकरण की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. पिछले एक साल में विभाग ने कई अहम पहल की हैं, जिसमें रोड प्रोजेक्ट्स की रियल-टाइम मॉनिटरिंग, तीसरे पक्ष से ऑडिट के ज़रिए भ्रष्टाचार पर सख्ती, गड्ढा-मुक्त सड़क अभियान और फ्लाईओवर निर्माण की रफ्तार, जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन में व्यापक सुधार शामिल हैं. अब जब विभाग के पास अपना कैडर होगा तो इन सभी जिम्मेदारियों को और अधिक दक्षता से निभाया जा सकेगा.

दिल्ली पीडब्ल्यूडी अब एमसीडी, एनडीएमसी और डीडीए जैसे आधुनिक संस्थानों की कतार में शामिल होने की दिशा में अग्रसर है, जिनके पास पहले से ही अपनी समर्पित इंजीनियरिंग सेवाएं हैं. यह सिर्फ एक प्रशासनिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश है कि दिल्ली अब विश्वस्तरीय अधोसंरचना और विश्वस्तरीय जवाबदेही देने के लिए तैयार है.

डीकेपी

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