New Delhi, 30 अक्टूबर . फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) ने कहा कि साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (एसटीईएम) में महिलाओं को शामिल करना और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर देना न केवल सामाजिक समानता का मामला नहीं है बल्कि यह देश के इनोवेशन, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और विकसित India के विजन को सफल बनाने के लिए जरूरी है.
एफएलओ की नेशनल प्रेसिडेंट पूनम शर्मा ने कहा, “एसटीईएम में कुल एनरोलमेंट में महिलाओं की 43 प्रतिशत भागीदारी के साथ India एसटीईएम ग्रेजुएट को तैयार करने में ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाता है. लेकिन एसटीईएम करियर में आगे बढ़ने वाले महिलाओं की यह हिस्सेदारी 14 प्रतिशत तक भर सीमित रह जाती है.”
शर्मा ने आगे कहा, “महिलाओं की हिस्सेदारी का इस तरह से कम होना लीकी पाइपलाइन कहा जाता है, जो कि ह्यूमन कैपिटल की बहुत बड़ी बर्बादी और इनोवेशन में एक सीधी रुकावट को दर्शाता है. क्रिटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थानों में, महिलाओं की संख्या केवल 16.6 प्रतिशत है. इस बहिष्कार की आर्थिक कीमत बहुत अधिक है.”
Government द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप प्लेटफॉर्म के अनुसार, लेबर फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से जीडीपी में काफी बढ़ोतरी हो सकती है. अकेले महिला एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने से 2030 तक 150-170 मिलियन नौकरियां पैदा हो सकती हैं.
शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि एफएलओ ने हाल ही में एक स्टडी की, जिसमें उन सिस्टमैटिक रुकावटों को सामने लाया, जो इस लीकी पाइपलाइन में योगदान करते हैं. इसमें पुराने सामाजिक-सांस्कृतिक नियम और बिना पेमेंट वाले काम का अधिक बोझ से लेकर वर्कप्लेस पर भेदभाव जैसे कारक शामिल हैं.
साथ ही, यह स्टडी टारगेटेड Governmentी पहलों जैसे वाइज-किरण और स्टार्टअप इंडिया द्वारा सपोर्टेड बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम के प्रभाव को भी उजागर करती है.
एफएलओ की मुख्य सिफारिशों में एजुकेशनल अचीवमेंट और वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन के बीच के अंतर को कम करना शामिल है.
यह स्टडी एक स्ट्रेटेजिक, मल्टी-स्टेकहोल्डर रोडमैप पेश करती है, जिसमें एसटीईएम में महिलाओं को बनाए रखने के लिए एक नेशनल मिशन स्थापित करना जैसे सिफारिशें पेश की गई हैं.
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एसकेटी/
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