मुरादाबाद, 3 जुलाई . समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने कांवड़ यात्रा को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा निश्चित रूप से एक धार्मिक यात्रा है, लेकिन जब कांवड़ यात्रा में तेज आवाज वाले डीजे बजते हैं तो आसपास के लोगों को परेशानी होती है. कांवड़ यात्रा के दौरान जब यह डीजे बजते हुआ जाता है तो लोगों के मकानों में खिड़कियों की झनझनाहट होती है, जो दिल के मरीज होते हैं, वो कान बंद कर लेते हैं.
एस.टी. हसन ने उत्तर प्रदेश सरकार और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि डीजे की आवाज 60 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए. अगर यह नियम लागू हो तो कोई समस्या नहीं होगी. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को कांवड़ यात्रा के लिए एक अलग सड़क बनानी चाहिए, जिसे ‘कावड़ पथ’ नाम दिया जाए. यह सड़क हरिद्वार से मुरादाबाद, बरेली और गढ़ तक जाए, ताकि कांवड़ियों को सुविधा हो और आम लोगों को असुविधा न हो. इससे न तो कांवड़ियों की श्रद्धा प्रभावित होगी और न ही जनता को परेशानी होगी. डीजे की ऊंचाई 12 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए, जैसा नियमों में निर्धारित है.
पूर्व सांसद ने ध्वनि प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि 60 डेसिबल की अनुमति के दायरे में डीजे बजाए जा सकते हैं, लेकिन अनियंत्रित तेज आवाज से मरीजों को परेशानी होती है. सड़क किनारे खड़े मरीज तेज आवाज से डरकर भागने को मजबूर हो जाते हैं, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए.
भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने कांवड़ यात्रा में डीजे पर रोक की मांग की है. इस मुद्दे पर एस.टी. हसन ने कहा कि मैं नरेश टिकैत की बात का समर्थन नहीं करता हूं, क्योंकि यह धार्मिक मामला है, जो सुप्रीम कोर्ट ने मानक तय किया है अगर कोई उससे ज्यादा तेज आवाज पर कांवड़ ले जाते पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का जिक्र करते हुए कहा कि रामपुर और सैफई परिवार में सब कुछ ठीक है. तंजीम फातिमा शायद किसी बात से नाराज होकर कुछ कह गई हों, लेकिन सब कुछ ठीक है.
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एकेएस/एकेजे
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