जयपुर, 20 अप्रैल . राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में शिक्षा से जुड़ी दो अहम योजनाओं में सामने आ रही अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) और “मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना” में हो रही समस्याओं और शिकायतों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है.
गहलोत ने पत्र में लिखा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009, जो 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है, एक क्रांतिकारी कानून है. इस कानून ने गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ने का अवसर प्रदान किया है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान इस कानून की तर्ज पर राज्य स्तर पर “इंदिरा शक्ति फीस पुनर्भरण योजना” लागू की गई, जिसमें 9वीं से 12वीं कक्षा तक बालिकाओं की फीस माफ की गई. इसके बाद बजट 2023-24 में इसका विस्तार करते हुए “मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना” शुरू की गई, जिससे बालकों को भी निःशुल्क शिक्षा का लाभ मिल सके.
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने इस योजना के तहत निजी स्कूलों को भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण स्कूल अब 8वीं कक्षा के बाद छात्रों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं. गहलोत ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं और बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है.
पत्र में गहलोत ने यह भी उल्लेख किया कि कई निजी स्कूल आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों से गणवेश, खेल-कूद, एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों और अन्य मदों में शुल्क वसूल रहे हैं, जबकि यह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है. उन्होंने आग्रह किया कि ऐसे विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
गहलोत ने सरकार से मांग की कि मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना को प्राथमिकता में लेकर पुनः सक्रिय किया जाए और 9वीं से 12वीं तक सभी विद्यार्थियों की निःशुल्क शिक्षा सुनिश्चित की जाए.
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डीएससी/
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