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पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के 'अमिताभ बच्चन' ने अदाकारी ने जीता दिल पर अंतिम समय में मिला अकेलापन

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New Delhi, 7 सितंबर . अभिनेता सतीश कौल ने बी.आर. चोपड़ा के लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत में इंद्रदेव की भूमिका निभाकर घर-घर में पहचान बनाई थी. अपने अभिनय से उन्होंने लाखों दिलों पर राज किया. सतीश कौल को ‘पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन’ कहा जाता था, जिन्होंने अपने चार दशक लंबे करियर में लगभग 300 से अधिक फिल्मों में काम किया. इतनी शोहरत मिलने के बाद उनके जीवन का आखिरी समय अकेलेपन और आर्थिक कठिनाइयों से गुजरा.

सतीश कौल का जन्म 8 सितंबर 1946 को कश्मीर में हुआ था. उनके पिता मोहन लाल कौल एक कश्मीरी कवि थे.

सतीश ने अपनी स्कूली शिक्षा श्रीनगर में पूरी की और बाद में अभिनय में करियर बनाने के लिए पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में दाखिला ले लिया. जया बच्चन, डैनी डेन्जोंगपा और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गज कलाकार वहां उनके सहपाठी रहे.

सतीश कौल ने अपने करियर की शुरुआत 1970 के दशक में पंजाबी फिल्मों से की और जल्द ही वह इस इंडस्ट्री के सुपरस्टार बन गए. उन्होंने ‘सस्सी पुन्नू’, ‘इश्क निमाना’, ‘सुहाग चूड़ा’, ‘पटोला’, ‘आजादी’, ‘शेरा दे पुत्त शेर’, ‘मौला जट्ट’ और ‘पींगा प्यार दीयां’ जैसी पंजाबी फिल्में कीं. उनकी रोमांटिक और भावनात्मक भूमिकाओं ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया.

सतीश ने हिंदी सिनेमा में भी अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें पंजाबी सिनेमा जैसी सफलता नहीं मिली. उन्होंने वारंट (1975), ‘कर्मा’ (1986), आग ही आग (1987) , कमांडो (1988), ‘राम लखन’ (1989), ‘प्यार तो होना ही था’ (1998) जैसी कई हिंदी फिल्मों में काम किया.

बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने सबसे पहली शूटिंग सतीश कौल की फिल्म की ही देखी थी. इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया.

सतीश कौल ने पंजाबी सिनेमा में अपनी शानदार अभिनय क्षमता से दर्शकों का दिल जीता. पंजाबी और हिंदी फिल्मों के अलावा टेलीविजन शो में यादगार किरदार निभाए.

उन्होंने ‘विक्रम और बेताल’ और शाहरुख खान के साथ ‘सर्कस’ जैसे टीवी शो में भी काम किया. पंजाबी सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें 2011 में पीटीसी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

सतीश कौल का निजी जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. शादी के कुछ समय बाद ही उनका अटलाक हो गया और पत्नी बेटे को लेकर अलग हो गईं. 2011 में वह Mumbai से लुधियाना चले गए और वहां एक अभिनय स्कूल खोला, जो घाटे में चला गया.

2015 में उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई, जिसके कारण वह ढाई साल तक बिस्तर पर रहे. इस दौरान उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई.

सतीश कौल ने एक पंजाबी टीवी इंटरव्यू में अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी और कहा था कि वह अब बिल्‍कुल लाचार हैं.

उन्होंने बताया था कि वह बाथरूम में गिर गए थे, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. लंबे समय से अस्पताल में रहने को मजबूर हूं, क्योंकि मेरा घर बिक गया है.

दरअसल मैंने लुधियाना में एक स्कूल खोला था. मुझे उसमें बहुत नुकसान हुआ. मुझे घर बेचना पड़ा. कोई मेरी देखभाल करने वाला नहीं है, क्योंकि वर्षों पहले मेरा तलाक हो गया था और मेरी पत्नी बेटे के साथ विदेश चली गई थी. मेरे पास इलाज के पैसे नहीं हैं. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से मदद की गुहार लगाई. उन्होंने कहा था कि लोग मदद का वादा करके जाते हैं, लेकिन कोई वापस नहीं आता.

10 अप्रैल 2021 को लुधियाना में कोविड-19 की चपेट में आने से 74 साल सतीश कौल का निधन हो गया. उनकी मृत्यु से प्रशंसकों को गहरा सदमा पहुंचा. साथ ही social media पर लाइमलाइट में रहने के बावजूद कलाकारों के व्यक्तिगत संघर्षों और उनके अनिश्चित भविष्य पर सवाल उठे थे.

एफएम/वीसी

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