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मोटापा अनेक बीमारियों की जड़, जानें आयुर्वेद के अनुसार कैसे करें कम

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New Delhi, 16 अगस्त . आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत सबसे जरूरी चीज बन गई है. अगर शरीर ठीक नहीं रहेगा, तो न काम हो पाएगा और न मन खुश रहेगा. इन सबमें सबसे आम लेकिन बड़ी परेशानी है ‘मोटापा,’ जिससे छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक, बहुत से लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं. मोटापा सिर्फ दिखने की बात नहीं है, इससे कई बीमारियां जुड़ी होती हैं, जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और थायरॉइड. इसलिए इस पर समय रहते ध्यान देना बहुत जरूरी है. मोटापा सिर्फ ज्यादा खाने से नहीं होता, इसके पीछे शरीर की अंदरूनी गड़बड़ियां भी मुख्य कारण होती हैं.

आयुर्वेद के मुताबिक, हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं—वात, पित्त और कफ. मोटापे के पीछे खासतौर पर कफ दोष बढ़ना होता है. जब कफ दोष बढ़ता है, तो शरीर में पाचन कमजोर होने लगता है, जिससे खाना अच्छी तरह नहीं पचता और शरीर में गंदगी जमा होने लगती है. शरीर भारी और सुस्त हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है. अगर पाचन को ठीक कर दिया जाए और शरीर से ये गंदगी बाहर निकाल दी जाए, तो मोटापा भी धीरे-धीरे कम होने लगता है. इसका जिक्र अमेरिकी नेशनल ऑफ मेडिसिन में भी किया गया है.

मोटापे के लिए आयुर्वेद में कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जैसे दिनभर गुनगुना पानी पीना, अदरक की चाय लेना और हल्का खाना. साथ ही योग और प्राणायाम करने से भी काफी मदद मिलती है.

योग के अभ्यास से शरीर की ऊर्जा सही तरीके से चलती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और मन शांत रहता है. योग के जरिए व्यक्ति अपने खाने-पीने की आदतों पर भी काबू पा सकता है.

अगर मोटापा ज्यादा हो गया हो, तो आयुर्वेद में पंचकर्म इलाज की सलाह दी जाती है. इसमें कुछ खास तरीके होते हैं जैसे ‘उद्वर्तन,’ जिसमें जड़ी-बूटियों से शरीर की मालिश की जाती है, जिससे चर्बी गलती है, ‘कषाय बस्ती’ यानी शरीर की सफाई, और ‘नस्य’ यानी नाक से दवा देकर मेटाबॉलिज्म को ठीक करना. ये इलाज शरीर को अंदर से साफ करता है और वजन घटाने में मदद करता है.

पीके/एएस

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