ढाका, 24 जून . बांग्लादेश में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (आईसीटी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों की सुनवाई 1 जुलाई से शुरू करने का आदेश दिया है.
मंगलवार को न्यायमूर्ति एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह आदेश पारित किया. सुनवाई के दौरान आरोपी अब्दुल्ला अल-मामून को अदालत में पेश किया गया, जबकि शेख हसीना और असदुज्जामान खान कमाल के अनुपस्थित रहने पर विशेष ध्यान दिया गया.
इससे पहले 17 जून को आईसीटी ने दो प्रमुख बांग्लादेशी अखबारों में नोटिस प्रकाशित कर शेख हसीना और असदुज्जामान खान कमाल को 24 जून तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.
नोटिस के अनुसार, “इंटरनेशनल क्राइम्स (ट्राइब्यूनल-1) रूल्स ऑफ प्रोसीजर 2010 (संशोधित), 2025 की धारा 31 के तहत उन्हें 24 जून को ट्राइब्यूनल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया जाता है. अन्यथा, 1973 के एक्ट की धारा 10ए के अंतर्गत मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चलाया जाएगा.”
1 जून को अभियोजन पक्ष द्वारा तीनों पर हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और घातक हथियारों के इस्तेमाल जैसे संगीन अपराधों का आरोप लगाया गया. अदालत ने आरोपों को संज्ञान में लेते हुए शेख हसीना और असदुज्जामान खान कमाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था. उसी दिन अब्दुल्ला अल-मामून को गिरफ्तार किया गया था.
शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने ट्राइब्यूनल द्वारा शुरू की गई इन कार्यवाहियों की कड़ी निंदा की है. पार्टी ने इसे एक “शो ट्रायल” (नकली मुकदमा) बताया है जो कथित तौर पर “गैर-निर्वाचित और अलोकतांत्रिक” सरकार के नेतृत्व में मोहम्मद यूनुस द्वारा संचालित किया जा रहा है.
पार्टी ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं. आवामी लीग का कहना है कि वर्तमान प्रशासन के कई अधिकारी पहले ही सार्वजनिक रूप से शेख हसीना को दोषी करार दे चुके हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया की निष्पक्षता संदिग्ध हो गई है.
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डीएससी/एबीएम
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