वाराणसी, 23 सितंबर . शारदीय नवरात्रि का Tuesday को दूसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप, मां ब्रह्मचारिणी, की पूजा-अर्चना की जाती है. उत्तर प्रदेश में वाराणसी के दुर्गा घाट और ब्रह्माघाट स्थित प्राचीन मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई है.
मंदिरों में विशेष पूजन और श्रद्धालुओं के जयकारे से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. श्रद्धालु मां के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना कर रहे हैं.
मान्यता है कि इस मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान सुख की प्राप्ति होती है और वे अपने भक्तों को धन-धान्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व है. मां ब्रह्मचारिणी संयम, तपस्या और ब्रह्मचर्य की प्रतीक मानी जाती हैं.
श्रद्धालुओं ने से बात करते हुए कहा कि मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि की दूसरी देवी हैं और इन्हें तपस्या व संयम का प्रतीक माना जाता है. इनके पूजन के महत्व को ऐसे समझा जा सकता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया.
श्रद्धालुओं ने बताया कि उनकी पूजा से साधक के भीतर तप, धैर्य, त्याग और संयम की शक्ति आती है. मां ब्रह्मचारिणी भक्त को विद्या, विवेक और आध्यात्मिक शक्ति का आशीर्वाद देती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से घर में सुख-शांति और सौभाग्य का आगमन होता है. इसके साथ ही ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति भी मिलती है.
ब्रह्मचारिणी मंदिर के महंत राजेश्वर सागर ने से बात करते हुए कहा कि इस मंदिर में माता की रात्रि में राजोप्रचार पूजा होती है. राजोप्रचार पूजा का मतलब है कि जिस तरह से राजा पूजा करते हैं, रोजाना रजत के पात्र से भगवती की पूजा की जाती है.
उन्होंने कहा कि इस मंदिर में पूरे साल भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि के दूसरे दिन भीड़ ज्यादा हो जाती है. मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो और सभी आसानी से दर्शन कर लें, इसका विशेष ध्यान दिया जाता है.
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एसएके/एबीएम
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