भिंड, 16 जुलाई . भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध हुआ था, जिसमें भारत विजयी रहा था. इस युद्ध में मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कई जवानों ने देश के लिए अपनी शहादत दी थी. 54 साल बाद वीर नारियों को बांग्लादेश सरकार ने गार्ड ऑफ ऑनर के सम्मान से नवाजा है. 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तान को हराया था बल्कि बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र के उदय में अहम भूमिका निभाई थी.
इस युद्ध में भिंड के जांबाज 21 योद्धाओं ने देश के लिए अपना बलिदान दिया था. शहीदों के पार्थिव शरीर उनके घर नहीं पहुंच सके थे. युद्ध के 54 साल बाद बांग्लादेश सरकार ने वीर नारियों को गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया है. साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर भी सम्मानित किया है.
वीर नारी लीला देवी ने कहा, “1971 की लड़ाई में शहीद हुए अपने पति का पार्थिव शरीर भी वह नहीं देख पाई थी. उस समय मेरी उम्र 14 साल और पति की 21 साल थी. 54 वर्ष बाद बांग्लादेश सरकार ने शहीदों की वीर नारियों की सुध ली और गार्ड रेजीमेंट के जवानों द्वारा हमारे घर पहुंचकर गार्ड ऑफ ऑनर सम्मान दिया गया. सम्मान में प्रशस्ति पत्र और एक पुस्तक है, जिसमें वीर योद्धाओं की वीरता का उल्लेख है. यह सम्मान हमारे लिए बेहद खास है. यह हमारे पति की बहादुरी का सम्मान है. अब इन्हीं यादों के सहारे जीवन कटेगा.”
उन्होंने कहा कि शहीदों की पत्नियों को तत्कालीन बांग्लादेश सरकार ने 5 लाख रुपए देने का वादा किया था, जो अब तक नहीं मिला है.
मिथलेश भदौरिया ने कहा कि 1971 की लड़ाई में उनके पति जंगबहादुर सिंह भदौरिया शहीद हो गए. उस समय उनकी उम्र 20 साल थी. उनका पार्थिव शरीर भी घर नहीं पहुंच सका था. अब बांग्लादेश सरकार ने वीर नारियों को गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया है.
मिथलेश भदौरिया ने पति की तरह पुलिस में भर्ती होकर सेवा की है.
बांग्लादेश सरकार की ओर से नौ वीर नारियों को सम्मान मिला है, जिन वीर नारियों को अभी तक सम्मान नहीं मिला, वे भी अब अपने पति की बहादुरी और साहस के लिए गार्ड ऑफ ऑनर सम्मान की बांट जोह रही हैं.
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पीएके/एबीएम
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