नई दिल्ली, 22 जून . इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने सस्ते और सरल पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) टेस्ट किट तैयार किए हैं, जिससे देश में हीमोफीलिया ए, वॉन विलेब्रांड रोग (वीडब्ल्यूडी) और सिकल सेल रोग (एससीडी) जैसे जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान आसान और किफायती बन गई है.
महंगे टेस्ट और स्पेशलिटी हॉस्पिटल की कमी की वजह से इन गंभीर रक्तस्रावी बीमारियों की अक्सर पहचान समय पर नहीं हो पाती है.
देश में हीमोफीलिया ए से करीब 1,36,000 लोग प्रभावित हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम का इलाज या इसके लिए रजिस्ट्रेशन हो पाता है.
वहीं, देश के कुछ क्षेत्रों में वॉन विलेब्रांड रोग 12,000 लोगों में से एक को प्रभावित करता है, रिसर्च से पता चलता है कि जेनेटिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर में इसकी व्यापकता 10 प्रतिशत है.
सिकल सेल रोग खासकर जनजातीय आबादी में ज्यादा पाया जाता है. इसके 57 प्रतिशत रोगी जनजातीय लोग हैं, हालांकि गैर-जनजातीय आबादी में इसकी व्यापकता 43 प्रतिशत है.
आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (एनआईआईएच) ने हीमोफीलिया ए और वीडब्ल्यूडी के लिए पीओसी टेस्ट किट तैयार किए हैं, जिसका इस्तेमाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर भी हो सकता है. इस किट की लागत मात्र 582 रुपए है, जबकि मौजूदा लैब टेस्ट की कीमत 2,086 रुपए हैं.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आईसीएमआर-सेंटर फॉर रिसर्च, मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज (सीआरएमसीएच) की निदेशक डॉ. मनीषा मडकाइकर ने समाचार एजेंसी को बताया, “हमारे पास अब कई टेस्ट हैं, जो भारत में बने हैं और ब्लड डिसऑर्डर का इलाज कर सकते हैं. यह ऐसी चीज है जिस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए.”
उन्होंने बताया कि इस किट से 83,000 से अधिक अज्ञात मामलों का पता लगाया जा सकता है, जिससे हेल्थ सिस्टम को 42 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है.
ये किट नेशनल हेल्थ प्रोग्राम में पीएचसी स्तर पर शामिल किए जा रहे हैं, जिससे रक्त से जुड़े रोगों का शुरुआती उपचार संभव होगा. विश्व हीमोफीलिया महासंघ ने भी इन किट्स को अन्य देशों में उपयोग के लिए खरीदने में रुचि दिखाई है.
सिकल सेल रोग के खिलाफ लड़ाई में आईसीएमआर-एनआईआईएच और छत्तीसगढ़ के सीआरएमसीएच को नए डायग्नोस्टिक किट्स की जांच और मंजूरी का जिम्मा सौंपा गया है. अब तक 30 किट्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें सस्ते फिंगर-प्रिक टेस्ट से लेकर जेनेटिक स्तर के टेस्ट शामिल हैं. इन किट्स की कीमत 50 रुपए से भी कम है, जो राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन के तहत सात करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
डॉ. मडकाइकर ने कहा, “पहले केवल दो महंगे पीओसी टेस्ट उपलब्ध थे, लेकिन अब स्वदेशी कंपनियों ने सस्ते और प्रभावी टेस्ट विकसित किए हैं, जो भारत में रक्त रोगों की पहचान को आसान और सुलभ बना रहे हैं.”
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एमटी/एकेजे
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