रांची, 11 अगस्त . झारखंड की बोरियो विधानसभा सीट से चार बार चुनाव लड़ चुके हिस्ट्रीशीटर नेता सूर्या हांसदा की पुलिस मुठभेड़ में मौत पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सवाल खड़े किए हैं. सूर्या हांसदा के परिजनों का भी आरोप है कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद फर्जी मुठभेड़ में मार डाला.
पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोशल मीडिया पर इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा, “वक्त ने एक आदिवासी को बनाया अपराधी, लोकतंत्र ने दिया मंच, पर पुलिस ने छीन ली आख़िरी सांस… आदिवासी नेता सूर्या हांसदा का एनकाउंटर कई सवाल खड़े करता है. जब वे चार बार चुनाव लड़ चुके थे तो इसका मतलब साफ था कि वे मुख्यधारा से जुड़कर काम करना चाहते थे, लेकिन पुलिस द्वारा जिस हिसाब से कार्रवाई की गई है, वह कई तरह के संदेह खड़ा करता है.”
बताया जा रहा है कि Monday को गोड्डा जिले के बोआरीजोर थाना क्षेत्र स्थित धमनीपहाड़ के पास पुलिस एनकाउंटर में सूर्या हांसदा मारा गया. पुलिस के अनुसार, सूर्या पर 32 आपराधिक मामले दर्ज थे और वह कई संगीन अपराधों में फरार था. मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने उसके पास से कई हथियार और खोखा बरामद किए. गोड्डा के एसपी मुकेश कुमार ने कहा कि सूर्या की गिरफ्तारी के बाद हथियार बरामद करने के लिए पुलिस दल ललमटिया धमनी पहाड़ पहुंचा, जहां उसके गैंग के सदस्य पहले से मौजूद थे. उन्होंने पुलिस पर हमला कर सूर्या को छुड़ाने की कोशिश की. इसी दौरान सूर्या ने पुलिस का हथियार छीनकर भागने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया.
पुलिस के अनुसार, 27 मई को ईसीएल (इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की राजमहल परियोजना के पहाड़पुर क्षेत्र में हुई गोलीबारी में भी सूर्या की संलिप्तता पाई गई थी, जिसमें एक ऑपरेटर घायल हुआ था. दूसरी ओर, सूर्या हांसदा की मां सूर्यमणी हांसदा (पूर्व जिला परिषद सदस्य) और पत्नी सुशीला हांसदा का आरोप है कि Sunday शाम 5 बजे देवघर जिले के मोहनपुर स्थित नावाडीह गांव से पुलिस ने सूर्या को गिरफ्तार किया था. उनका कहना है कि उनकी तबीयत खराब थी और वे पुलिस से भाग नहीं सकते थे, इसलिए मुठभेड़ पूरी तरह फर्जी है.
सूर्या के वकील संजीव मिश्रा ने इस घटना को राजनीतिक साजिश बताया. उनका कहना है कि पुराने मामलों में सूर्या ज्यादातर बरी हो चुके थे और मौजूदा मामलों में जांच चल रही थी. सूर्या हांसदा झारखंड की बोरियो विधानसभा सीट से वर्ष 2009 और 2014 में झारखंड विकास मोर्चा, 2019 में भारतीय जनता पार्टी और 2024 में जेएलकेएम के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे, हालांकि इन सभी चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
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एसएनसी/डीएससी
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