New Delhi, 30 जुलाई . कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने Wednesday को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए उस संबोधन की विश्वनीयता पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने दुनिया के किसी भी देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया था.
कांग्रेस नेता ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को सामने आकर ट्रंप को हिदायत देना चाहिए कि वो इस तरह की बातें नहीं करें. गोगोई ने कहा कि साफ जाहिर हो रहा है कि दोनों में से कोई एक तो सच नहीं बोल रहा है. ऐसे में यह देश के लोगों के बीच क्या दर्शाता है कि, दोनों देश के सरकारों के बीच इतना भी संतुलन नहीं है कि वे अपनी बातों में समन्वय रखें, एक दूसरे की बातों को साझा करें. क्या अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच बातचीत नहीं है.
इसके अलावा, पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के आका आसिम मुनीर भी व्हाइट हाउस में गए. यह बहुत ही ताज्जुब की बात है, इसलिए हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री स्पष्ट रूप से बताएं कि क्या उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप से इस संदर्भ में बात की. और अगर राष्ट्रपति ट्रंप कुछ गलत बयान दे रहे हैं तो क्या प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ऐसे हीं चुप बैठेगी या अमेरिका की सरकार और ट्रंप को ऐसे बयान बदलने का सुझाव देगी.
इसके अलावा, उन्होंने पहलगाम टेरर अटैक के संबंध में कहा कि यह हमला किसी एक व्यक्ति ने तो नहीं करवाया होगा, बल्कि इस हमले में पाकिस्तानी सेना भी शामिल है. पाकिस्तानी सेना हीं विभिन्न आतंकवादी गुटों को प्रोत्साहित करता है. आतंकवादी गुटों का नेता आसिम मुनीर डोनाल्ड ट्रंप के अलावा दो अन्य देशों के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर रहा है. सेटेलाइट के जरिए पहलगाम हमले के इन आतंकियों को जो जानकारी मिली है, इसके पीछे किसका हाथ है, हमें भी पता है.
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अद्भुत तर्क है कि एक तरफ जहां आप ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय ले रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पहलगाम टेरर अटैक की जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं. आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. यह गजब की स्थिति है कि एक तरफ जहां ये लोग ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पहलगाम टेरर अटैक का ठीकरा पंडित नेहरू पर फोड़ रहे हैं. आखिर ये क्यों ?
गौरव गोगोई ने कहा कि सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को यह बताएं कि पहलगाम टेरर अटैक में सिक्योरिटी की विफलता थी की नहीं. एलजी साहब एक जिम्मेदारी पद पर बैठे हुए थे. उन्होंने खुद इस बात को कबूल किया है कि पहलगाम टेरर अटैक में सिक्योरिटी की विफलता रही है. अब यह विफलता पंडित नेहरू की तो नहीं थी या यूपीए सरकार की तो नहीं थी या कांग्रेस की विफलता तो नहीं थी. आखिर यह विफलता किसकी थी?
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एसएचके/जीकेटी
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