भारतीय निर्वाचन आयोग ने बिहार के बाद अब देश के 12 राज्यों में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है। इस पहल का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी, सटीक और अद्यतन बनाना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम प्रयास बताया है।
उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि विपक्ष केवल लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, जबकि SIR मतदाता सूची को सुधारने और गलतियों को दूर करने की एक आवश्यक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, “विपक्ष का उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है। पारदर्शिता लाने के बजाय वे मतदाताओं के बीच अनावश्यक शंका पैदा कर रहे हैं।”
बिहार से शुरू हुई थी प्रक्रिया
भूपेंद्र चौधरी ने याद दिलाया कि बिहार में जब SIR लागू किया गया था, तब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था। उन्होंने कहा, “जब ड्राफ्ट प्रकाशित हुआ, तो वही नेता चुप हो गए, जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। ये दिखाता है कि उनका विरोध सिर्फ राजनीति से प्रेरित था, न कि किसी वास्तविक चिंता से।”
मतदाता सूची सुधार जरूरी कदम
भूपेंद्र चौधरी ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का मकसद उन नामों को हटाना है जो मृतक हैं, स्थानांतरित हो चुके हैं या दोहराव में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि कई बार एक ही पते पर एक से अधिक गलत मतदाता नाम दर्ज हो जाते हैं, जिससे चुनाव की सटीकता प्रभावित होती है। उन्होंने जोड़ा, “SIR ऐसी त्रुटियों को ठीक करने की दिशा में बड़ा कदम है, इसमें भ्रम फैलाने की कोई जरूरत नहीं है।”
विपक्ष पर तीखा हमला
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “ये लोग नकारात्मक एजेंडा चलाकर देश में भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है। जनता अब इनके झांसे में नहीं आने वाली।”
यूपी में स्वागत, पूरे देश में लागू होगा SIR
भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करती है, क्योंकि इससे चुनाव प्रणाली पर जनता का विश्वास और मजबूत होगा। उन्होंने बताया कि बिहार के बाद अब दूसरे चरण में 12 राज्यों में SIR लागू किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है।
आयोग ने बताया कि 27 अक्टूबर की रात 12 बजे से मतदाता सूची फ्रीज कर दी गई है। अब इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद नई मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
भूपेंद्र चौधरी ने अंत में कहा, “यह सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र को और मजबूत करने का कदम है। विपक्ष चाहे जितना भ्रम फैलाए, जनता सच्चाई समझती है।”
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