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पाकिस्तान को लेकर रियाद में बोले असदुद्दीन ओवैसी, उसे तुरंत FATF की ग्रे लिस्ट में वापस लाया जाना चाहिए

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सऊदी अरब के रियाद में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद भी पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए और भारतीय जांच दल को भी केवल दिखावा करने के लिए मौका दिया। ओवैसी ने बताया कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय सरकार ने पाकिस्तानी अधिकारियों को साक्ष्य सौंपे, लेकिन पाकिस्तान ने उस पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की।

ओवैसी ने आगे कहा, “पाकिस्तान को तब जबरदस्त दबाव में लाना पड़ा जब उसे वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया। उस समय पाकिस्तान ने साजिद मीर के जीवित होने से इनकार किया था, लेकिन बाद में उसने माना कि वह जीवित है और उसे केवल मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सजा सुनाई गई। जबकि 26/11 के असली अपराधी आज भी बेखौफ घूम रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि भारतीय एजेंसियों ने आतंकवादियों के बीच हुए ऑडियो वार्तालाप भी रिकॉर्ड किए हैं, जिनमें स्पष्ट तौर पर आतंकवादियों को ‘जितने भारतीयों को मार सकते हो मारो’ के आदेश दिए गए। “यह तथ्य पाकिस्तान की जड़ता और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता को उजागर करता है।”

ओवैसी ने जोर देकर कहा कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान में पूरी तरह फल-फूल रहे हैं और उन्हें वहाँ प्रशिक्षित किया जा रहा है। उनका कहना था, “पाकिस्तान की इन करतूतों की वजह से भारत में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़काने की कोशिश होती है। इसलिए पाकिस्तान को तुरंत FATF की ग्रे लिस्ट में वापस लाना चाहिए ताकि आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाया जा सके।”



इस दौरान उन्होंने पठानकोट हमले का भी जिक्र किया और कहा कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा बिना बुलाए पाकिस्तान जाने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई। “हमने पाकिस्तान को सारे सबूत सौंपे, लेकिन वहां की जासूसी एजेंसियों को आमंत्रित करना भारतीय संप्रभुता का अपमान था। अब सवाल यह है कि हम पाकिस्तान में किससे बात करें जब हमें बार-बार धोखा मिलता है।”


ओवैसी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के एक फील्ड मार्शल के साथ अमेरिकी आतंकवादी की तस्वीरें हैं, जो यह दर्शाती हैं कि पाकिस्तान किस हद तक आतंकवाद के साथ गठजोड़ में है।

यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारत की कई सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद और जासूसी के मामलों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। खासकर 26/11 हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंध बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना जारी है।

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