विश्व में अशांति और युद्धों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विशाखापत्तनम में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में योग को वैश्विक शांति का मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि योग न केवल व्यक्ति को संतुलित करता है, बल्कि यह मानवता के लिए एक ‘पॉज़ बटन’ है जो उसे फिर से सुकून और स्थिरता प्रदान करता है।
"योग से अहं समाप्त होता है, 'मैं' से 'हम' की ओर बढ़ते हैं"
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज का विश्व जिस प्रकार की वैश्विक अशांति और संघर्षों से जूझ रहा है, उसमें योग एक प्रभावशाली समाधान बन सकता है। उन्होंने कहा, “योग अहंकार को समाप्त करता है और हमें 'मी टू वी' यानी 'मैं' से 'हम' की ओर ले जाता है। यही भावना वैश्विक एकता का आधार है।”
"योग एक पॉज़ बटन है जिसे मानवता को आज दबाने की ज़रूरत है"
प्रधानमंत्री ने योग को एक आत्मविकास की प्रक्रिया बताते हुए कहा, “यह वह पॉज़ बटन है जिसकी आज पूरी मानवता को आवश्यकता है, जिससे वह रुककर सांस ले सके, खुद को संतुलित कर सके और फिर से सम्पूर्णता की ओर लौट सके।”
उन्होंने “सर्वे भवन्तु सुखिनः” के वैदिक मंत्र का हवाला देते हुए कहा कि यह विचार ही एक शांतिपूर्ण समाज की नींव रखता है।
'वन अर्थ, वन हेल्थ' थीम का महत्व
पीएम मोदी ने इस वर्ष की योग दिवस की थीम 'योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ' की गहराई को भी समझाया। उन्होंने कहा, “यह विषय इस सच्चाई को दर्शाता है कि पृथ्वी के प्रत्येक जीव और वस्तु का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा हुआ है। योग हमें इसी अंतरसंबंध को पहचानने और संतुलन की दिशा में ले जाने में मदद करता है।”
योग: सीमाओं से परे, सभी के लिए
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि योग किसी एक देश, धर्म या आयु वर्ग तक सीमित नहीं है। यह एक सार्वभौमिक विचार है जो सभी के लिए है। उन्होंने कहा, “चाहे वह सिडनी का ओपेरा हाउस हो, एवेरेस्ट की चोटियां हों या महासागर की गहराइयां — हर जगह योग एक ही संदेश देता है कि यह सभी के लिए है, हर पृष्ठभूमि, हर उम्र, हर क्षमता के लिए।”
योग से जुड़ाव: व्यक्तिगत अनुशासन से वैश्विक एकता तक
पीएम मोदी ने कहा कि शुरुआत में योग व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की देखभाल सिखाता है, लेकिन यही अनुशासन धीरे-धीरे उसे पूरे विश्व से जोड़ने लगता है। “योग हमें बताता है कि हम केवल व्यक्तिगत इकाई नहीं हैं, बल्कि प्रकृति के अंग हैं। जब हम यह समझते हैं तो हमारी सोच में एकता आती है,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण न केवल योग के व्यक्तिगत लाभों पर केंद्रित था, बल्कि उसने इसे वैश्विक शांति, सहयोग और मानवता की साझा चेतना से भी जोड़ने का प्रयास किया। अशांत विश्व के इस दौर में, योग एक माध्यम बनकर उभरा है जो लोगों को न केवल शरीर बल्कि आत्मा और समाज से भी जोड़ता है।
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