आजकल बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से यूरिक एसिड का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। जब खून में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाता है, तो यह हड्डियों और जोड़ों में क्रिस्टल बनाता है, जिससे गाउट, सूजन, दर्द और अकड़न जैसी समस्याएं होने लगती हैं। दवाइयों के साथ-साथ अगर आप डाइट पर ध्यान दें, तो इससे राहत पाई जा सकती है। ऐसे में एक साधारण सी सब्जी बेहद कारगर साबित हो सकती है – करेला (Bitter Gourd)।
करेले में क्यों है इलाज?
करेला भले ही स्वाद में कड़वा हो, लेकिन यह सेहत का खजाना है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और डिटॉक्स गुण शरीर से अतिरिक्त यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही यह खून को साफ करता है और किडनी को स्वस्थ रखता है।
- यूरिक एसिड लेवल कम करे – करेले में मौजूद तत्व प्यूरीन को तोड़कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं।
- सूजन और दर्द घटाए – इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों की सूजन और गाउट के दर्द को कम करते हैं।
- किडनी की सेहत सुधारता है – करेले का रस या उबला करेला किडनी को डिटॉक्स करने में सहायक है।
- ब्लड शुगर कंट्रोल – डायबिटीज रोगियों के लिए भी करेला बेहद लाभकारी है।
करेले का सेवन कैसे करें?
सावधानियां
- करेले का अधिक सेवन पेट में गैस या एसिडिटी बढ़ा सकता है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें।
- डायबिटीज की दवा लेने वाले लोग करेले का सेवन सीमित मात्रा में करें, वरना ब्लड शुगर बहुत कम हो सकता है।
करेला स्वाद में भले ही कड़वा हो, लेकिन यह यूरिक एसिड और गाउट जैसी गंभीर समस्याओं में प्राकृतिक औषधि की तरह काम करता है। नियमित और नियंत्रित मात्रा में इसका सेवन करने से जोड़ों की सूजन कम होती है और हड्डियों को आराम मिलता है।
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