Best Countries For Study Abroad: विदेश में पढ़ाई के लिए पहले जब पॉपुलर देशों की बात होती थी, तो उसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का नाम जरूर आता था। इन देशों को 'बिग फॉर' के तौर पर जाना जाता है। हालांकि, अब भारतीय छात्रों का धीरे-धीरे इन देशों से मोहभंग हो रहा है। वे इन मुल्कों को छोड़कर ऐसे देशों में पढ़ने जा रहे हैं, जो पहले कम पॉपुलर थे। सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि इसमें एक देश ऐसा है, जिसके नाम ने सबसे ज्यादा लोगों को हैरान किया है।
दरअसल, बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान जैसे गैरपारंपरिक देशों में हायर एजुकेशन हासिल करने जा रहे हैं। भारत के ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 7.60 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने गए। ज्यादा से ज्यादा छात्र ऐसे देशों में जाना चाहते हैं, जहां उन्हें ना सिर्फ राजनीतिक स्थिरता हासिल हो, बल्कि नौकरी के अच्छे अवसर भी मिलें। इन तीन देशों के अलावा भारतीय छात्र सिंगापुर, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान जैसे देश में भी पढ़ने जा रहे हैं।
जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान में कितने भारतीय छात्र?
रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान में लगातार भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। 2024 में लगभग 35,000 भारतीय छात्र जर्मनी पढ़ने गए, जो 2019 में जर्मनी को चुनने वालों की संख्या से लगभग दोगुना है। जर्मनी में भारतीयों को सस्ती पढ़ाई और वर्ल्ड-क्लास एजुकेशन मिल रही है। इसके अलावा यहां पर जॉब के भी ज्यादा ऑप्शन हैं।
रूस ने भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को आकर्षित किया है। 024 में लगभग 31,400 भारतीय छात्र रूस गए, जो 2019 की संख्या से लगभग दोगुना है। पॉपुलर मेडिकल डिग्री और सस्ती ट्यूशन फीस ने रूस को पॉपुलर बनाया है। उज्बेकिस्तान ने इस लिस्ट में शामिल होकर सभी को हैरान किया है। 2019 में केवल 300 भारतीय छात्र उज्बेकिस्तान गए थे। यह संख्या 2024 में बढ़कर लगभग 10,000 छात्र हो गई।
US-UK से मोहभंग होने की वजह
अमेरिका ने पिछले साल 2.04 लाख भारतीय छात्र पढ़ने गए। 2023 की तुलना में ये 13 फीसदी कम रहा। अमेरिका की वीजा नीतियों, ग्रेजुएशन के बाद जॉब के कम अवसर और छात्रों के साथ हो रहे व्यवहार के चलते भारतीयों का इससे मोहभंग हुआ है। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी 2024 में भारतीय छात्रों की संख्या कम हुई। कनाडा में, नए स्टडी परमिट पर कैप के कारण भारतीय स्टडी परमिट होल्डर्स में 8% की गिरावट आई, जो 3,93,000 तक पहुंच गई।
ब्रिटेन में परिवार के सदस्यों को लाने पर नए प्रतिबंधों के बाद 4% की गिरावट आई। ब्रिटेन और कनाडा में महंगाई भी काफी ज्यादा बढ़ गई है। इस वजह से छात्रों के लिए यहां पढ़ाई करना पहले के मुकाबले काफी ज्यादा महंगा हो गया है। ज्यादा से ज्यादा भारतीय छात्र ऐसे देशों में पढ़ना चाहते हैं, जहां उन्हें मोटी फीस के बदले नौकरियों के अच्छे अवसर हासिल हों। फिलहाल अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश ये सुविधा देते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
दरअसल, बड़ी संख्या में भारतीय छात्र जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान जैसे गैरपारंपरिक देशों में हायर एजुकेशन हासिल करने जा रहे हैं। भारत के ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 7.60 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने गए। ज्यादा से ज्यादा छात्र ऐसे देशों में जाना चाहते हैं, जहां उन्हें ना सिर्फ राजनीतिक स्थिरता हासिल हो, बल्कि नौकरी के अच्छे अवसर भी मिलें। इन तीन देशों के अलावा भारतीय छात्र सिंगापुर, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान जैसे देश में भी पढ़ने जा रहे हैं।
जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान में कितने भारतीय छात्र?
रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी, रूस और उज्बेकिस्तान में लगातार भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। 2024 में लगभग 35,000 भारतीय छात्र जर्मनी पढ़ने गए, जो 2019 में जर्मनी को चुनने वालों की संख्या से लगभग दोगुना है। जर्मनी में भारतीयों को सस्ती पढ़ाई और वर्ल्ड-क्लास एजुकेशन मिल रही है। इसके अलावा यहां पर जॉब के भी ज्यादा ऑप्शन हैं।
रूस ने भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को आकर्षित किया है। 024 में लगभग 31,400 भारतीय छात्र रूस गए, जो 2019 की संख्या से लगभग दोगुना है। पॉपुलर मेडिकल डिग्री और सस्ती ट्यूशन फीस ने रूस को पॉपुलर बनाया है। उज्बेकिस्तान ने इस लिस्ट में शामिल होकर सभी को हैरान किया है। 2019 में केवल 300 भारतीय छात्र उज्बेकिस्तान गए थे। यह संख्या 2024 में बढ़कर लगभग 10,000 छात्र हो गई।
US-UK से मोहभंग होने की वजह
अमेरिका ने पिछले साल 2.04 लाख भारतीय छात्र पढ़ने गए। 2023 की तुलना में ये 13 फीसदी कम रहा। अमेरिका की वीजा नीतियों, ग्रेजुएशन के बाद जॉब के कम अवसर और छात्रों के साथ हो रहे व्यवहार के चलते भारतीयों का इससे मोहभंग हुआ है। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी 2024 में भारतीय छात्रों की संख्या कम हुई। कनाडा में, नए स्टडी परमिट पर कैप के कारण भारतीय स्टडी परमिट होल्डर्स में 8% की गिरावट आई, जो 3,93,000 तक पहुंच गई।
ब्रिटेन में परिवार के सदस्यों को लाने पर नए प्रतिबंधों के बाद 4% की गिरावट आई। ब्रिटेन और कनाडा में महंगाई भी काफी ज्यादा बढ़ गई है। इस वजह से छात्रों के लिए यहां पढ़ाई करना पहले के मुकाबले काफी ज्यादा महंगा हो गया है। ज्यादा से ज्यादा भारतीय छात्र ऐसे देशों में पढ़ना चाहते हैं, जहां उन्हें मोटी फीस के बदले नौकरियों के अच्छे अवसर हासिल हों। फिलहाल अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश ये सुविधा देते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
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