नई दिल्ली: हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैच की टी20 सीरीज के पहले दो मैचों में अर्शदीप सिंह को टीम से बाहर (बेंच) करके हर्षित राणा को शामिल करने के फैसले को ज्यादा समर्थन नहीं मिला था। भारत के लिए टी20 में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले अर्शदीप सिंह को तीसरे T20 में मौका मिला और उसी मैच में फिर उन्होंने तीन विकेट भी लिए। चौथे टी20 में भी अर्शदीप ने अच्छी गेंदबाजी की और एक विकेट लिया। अब भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने अर्शदीप सिंह और साथ ही कुलदीप यादव को बाहर बिठाने के फैसले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। गंभीर के इस फैसले की काफी आलोचना भी हो रही थी।
गौतम गंभीर ने अपने बयान में क्य कहा
बीसीसीआई ने गौतम गंभीर की एक इंटरव्यू शेयर किया है। उस इंटरव्यू में गंभीर कहते हैं, 'एक कोच के तौर पर मेरे लिए यही सबसे मुश्किल काम है, और यही सबसे मुश्किल जॉब भी है। कभी-कभी, जब मुझे पता होता है कि बेंच पर इतने अच्छे खिलाड़ी बैठे हैं और मुझे पता है कि हर कोई प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने का हकदार है। तब भी आप सिर्फ़ 11 ही चुन सकते हैं, यह सोचकर कि उस दिन काम करने के लिए सबसे अच्छा संयोजन कौन सा है।'
मेरे लिए सबसे जरूरी बात बातचीत और कम्यूनिकेशन है...
उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन मेरे लिए सबसे जरूरी बात बातचीत और कम्यूनिकेशन (संवाद) है। कम्यूनिकेशन बहुत स्पष्ट और ईमानदार होनी चाहिए। कभी-कभी जाहिर है ये बातचीत मुश्किल होती है। अगर आप किसी को बताते हैं कि वह नहीं खेल रहा है तो यह कोच और खिलाड़ी दोनों के लिए शायद सबसे मुश्किल बातचीत होती है। मुझे पता है कि खिलाड़ी नाराज होगा क्योंकि वह प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने का हकदार है।'
लेकिन अगर आप ईमानदार हैं, अगर आप सीधी बात करते हैं, अगर आप जानते हैं कि आप जो कह रहे हैं वह दिल से है और उससे आगे कुछ नहीं है तो कुछ खिलाड़ी समझ जाते हैं। यह खिलाड़ी और कोच के बीच की बात है। मुझे लगता है कि इसे यहीं रहना चाहिए, बजाय इसके कि लोग इसके बारे में बात करें और शोर मचाएं। यह कुछ ऐसा है जो इस समूह और सहयोगी स्टाफ ने शानदार ढंग से किया है, क्योंकि यह एक बहुत ही ट्रांसपेरेंट ड्रेसिंग रूम, एक ईमानदार ड्रेसिंग रूम रहा है और हम इसे बिल्कुल वैसा ही चाहते हैं।
गौतम गंभीर ने अपने बयान में क्य कहा
बीसीसीआई ने गौतम गंभीर की एक इंटरव्यू शेयर किया है। उस इंटरव्यू में गंभीर कहते हैं, 'एक कोच के तौर पर मेरे लिए यही सबसे मुश्किल काम है, और यही सबसे मुश्किल जॉब भी है। कभी-कभी, जब मुझे पता होता है कि बेंच पर इतने अच्छे खिलाड़ी बैठे हैं और मुझे पता है कि हर कोई प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने का हकदार है। तब भी आप सिर्फ़ 11 ही चुन सकते हैं, यह सोचकर कि उस दिन काम करने के लिए सबसे अच्छा संयोजन कौन सा है।'
मेरे लिए सबसे जरूरी बात बातचीत और कम्यूनिकेशन है...
उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन मेरे लिए सबसे जरूरी बात बातचीत और कम्यूनिकेशन (संवाद) है। कम्यूनिकेशन बहुत स्पष्ट और ईमानदार होनी चाहिए। कभी-कभी जाहिर है ये बातचीत मुश्किल होती है। अगर आप किसी को बताते हैं कि वह नहीं खेल रहा है तो यह कोच और खिलाड़ी दोनों के लिए शायद सबसे मुश्किल बातचीत होती है। मुझे पता है कि खिलाड़ी नाराज होगा क्योंकि वह प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने का हकदार है।'
लेकिन अगर आप ईमानदार हैं, अगर आप सीधी बात करते हैं, अगर आप जानते हैं कि आप जो कह रहे हैं वह दिल से है और उससे आगे कुछ नहीं है तो कुछ खिलाड़ी समझ जाते हैं। यह खिलाड़ी और कोच के बीच की बात है। मुझे लगता है कि इसे यहीं रहना चाहिए, बजाय इसके कि लोग इसके बारे में बात करें और शोर मचाएं। यह कुछ ऐसा है जो इस समूह और सहयोगी स्टाफ ने शानदार ढंग से किया है, क्योंकि यह एक बहुत ही ट्रांसपेरेंट ड्रेसिंग रूम, एक ईमानदार ड्रेसिंग रूम रहा है और हम इसे बिल्कुल वैसा ही चाहते हैं।
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